ग्रामोदय विश्वविद्यालय में मुंशी प्रेमचंद जयंती पर राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित
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चित्रकूट- महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय चित्रकूट के हिंदी विभाग द्वारा आयोजित प्रेमचंद जयंती के अवसर पर राष्ट्रीय संगोष्ठी संपन्न हुई। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि एवं मुख्य वक्ता डॉ शशि भूषण मिश्र युवा आलोचक एवं शासकीय महिला स्नातकोत्तर महाविद्यालय बांदा के प्राध्यापक ने कहा कि प्रेमचंद राष्ट्र व्यक्ति समाज स्त्री इन सभी की स्वाधीनता के लिए जूझते हैं प्रेमचंद का साहित्य जितनी बार पढ़ा जाए उसमें अर्थ की नई-नई को प्ले फूटी हैं।
प्रेमचंद के लिए स्वाधीनता केवल अंग्रेजों को भगाने का मामला नहीं थी वह किसानों एवं स्त्रियों की मुक्ति का भी प्रश्न था अध्यक्षीय उद्बोधन के रूप में कला संकाय के अधिष्ठाता प्रोफेसर नंदलाल मिश्र ने कहा कि प्रेमचंद आज भी हमारे लिए प्रासंगिक क्योंकि जिस प्रकार प्रेमचंद किसानों की समस्याओं से जूझते रहे आने वाला समय मजदूरों की समस्याओं से जूझने वाला है आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का जो समय आ रहा है वह हमारे लिए एक नई समस्या पैदा करने वाला होगा जब मनुष्य के पास काम नहीं होगा तो वह कहां जाएगा इसी के साथ उन्होंने कहा की सोवियत संघ के विघटन के बाद जब समाजवाद का स्थान पूंजीवाद ले लेता है तो वह विश्व के लिए एक नई चुनौती पैदा होती है कार्यक्रम के विशिष्ट वक्ता के रूप में डॉक्टर कुसुम सिंह ने कहा कि प्रेमचंद की कहानियां और उपन्यास हमें एक दिशा देते जीवन जीने का और उस जीवन पर चलने का मार्ग प्रशस्त करते हैं।
कार्यक्रम के संयोजक और संचालक डॉ ललित कुमार सिंह ने वक्तव्य की शुरुआत करते हुए कहा कि प्रेमचंद जब तक समाज में विषमता रहेगी तब तक प्रासंगिक रहेंगे उनकी रचनाओं में हम सामाजिक विषमता आर्थिक विषमता साथ-साथ देखते हैं प्रेमचंद जैसा लेखक ही गुलामी के दौर में सोजे वतन जैसी रचना लिख सकता है लेखक कभी डरता नहीं है जिसे वहां समाज के लिए अच्छा समझता है देश के लिए अच्छा समझता है वह डंके की चोट पर लिखता है कार्यक्रम में आभार प्रदर्शन करते हुए मानविकी एवं सामाजिक विज्ञान की विभागाध्यक्ष डॉक्टर नीलम चौरे ने कहा कि प्रेमचंद हमारे जीवन के रग रग में बसे हुए हैं।
जावेद मोहम्मद विशेष संवाददाता भारत विमर्श चित्रकूट म.प्र.