July 23, 2025

डिजिटल कार्ड से होती है गौ वंशों की पहचान

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चित्रकूट – एक ऐसी गौशाला जहां गोवंश के बनते हैं डिजिटल कार्ड। इस बात को जानकर जरूर हैरानी होगी लेकिन यह सच चित्रकूट में देखने को मिल रहा है। जिला मुख्यालय से 20 किलोमीटर दूर जानकीकुण्ड स्थित परमहंस संत श्री रणछोड़दास जी महाराज के कर कमलों से स्थापित मानव सेवा एवं नेत्र चिकित्सा के लिए विश्वविख्यात संस्थान श्री सदगुरु सेवा संघ ट्रस्ट का सदगुरु गौ सेवा केंद्र। यहां मौजूदा स्थिति में 1275 गाय हैं जिसमें सभी का डिजिटल कार्ड बना हुआ है। ट्रस्ट द्वारा बतलाया गया कि इंटरनेट आधारित एक विशेष सॉफ्टवेयर तैयार करवाया गया, जहाँ गौसेवा केंद्र की सभी गौ वंश का डाटाबेस तैयार किया गया है, जिसमें जैसे ही गाय मुंह के सामने कैमरा स्क्रीन करेंगे वैसे ही गाय की नस्ल, उम्र, वजन, टीकाकरण, पूर्व में किया गया मेडिकल ट्रीटमेंट एवं फोटो जैसी सारी जानकारी कुछ ही सेकेण्ड में सामने आ जाएंगी। इस सदगुरु गौ सेवा समिति की अध्यक्ष एवं संचालिका उषा जैन ने बताया कि, यह परंपरा परम पूज्य गुरुदेव रणछोड़दास जी महाराज की प्रेरणा से एवं अध्यक्ष श्री अरविन्दभाई मफतलाल, रामभाई गोकाणी एवं डॉ.बी.के.जैन के मार्गदर्शन में लगभग 30 वर्ष पहले से शुरू हुई थी। शुरुआती दौर में गौ सेवा के लिए कच्चे बाड़े बनाकर गर्मियों के चार माह चारे-पानी का अभाव होता था, तब आस-पास के गांव में जाकर निराश्रित (दूध न देने वाली) गोवंश को लाकर उनकी सेवा की जाती थी और बारिश आने पर गाँववाले उन्हें वापस ले जाते थे, धीरे-धीरे यह क्रम बढ़ता गया और यह सेवा वर्षभर के लिए स्थायीरूप से शुरू हो गयी।
श्रीमतीउषा जैन ने बताया कि गौ सेवा के लिए साल भर जो भी खर्च आता है वह देश-विदेश में रहने वाले गुरुभाई-बहनों एवं गौभक्तों के द्वारा प्रदत्त पुण्यलक्ष्मी से किया जाता है । वर्ष में दो बार विविध व्यंजनों का गौ-अन्नकूट लगाया जाता है। जिसमें 156 प्रकार का भोग तैयार कर गाय को खिलाया जाता है। उन्होंने कहा कि डिजिटलकार्ड प्रक्रिया से सबसे बड़ा लाभ यह है कि गोवंश के ट्रीटमेंट करने से पहले उसका डॉक्टर रिकार्ड कार्ड देख कर यह पहचान कर सकता है कि कितनी बार ट्रीटमेंट किया गया है कौन सी दवा लगी है कितनी बार टीकाकरण होना है कितने दिन की हो गई है। इसके साथ साथ अगर गाय कहीं बिछड़ जाती है डिजिटल कार्ड के जरिए गाय के स्वामी और उसका नाम का पता लगाकर गाय को अपने गौशाला में ला सकते हैं। उन्होंने कहा कि आगामी समय में सभी गोवंश के लिए जीपीएस सिस्टम के लिए भी हम प्रयासरत हैं जिससे गौवंश के आवगमन की जानकारी ट्रेस हो सकेगी।

गौशाला में प्रतिदिन लगती है इतनी खुराक
80 कुंटल प्रतिदिन हरा चारा 30 कुंटल गेहूं भूसा 10 कुंटल दाना-चोकर दलिया एवं पशु आहार प्रतिदिन गायों को दिया जाता है। गायों के रखरखाव के लिए 15 शेड अलग-अलग बनाए गए हैं जिसमें गर्भवती गोवंश को अलग, बछड़े अलग, दुर्घटनाग्रस्त विकलांग गोवंश अलग, बीमार गो वंश अलग एवं स्वास्थ्य गौ वंश अलग शेड में रखे जाते हैं।

गायों के नहाने के लिए है शावर की व्यवस्था

इन सभी शेड में मौसम के अनुसार गायों को सुविधा का ध्यान रखा जाता है जिसमें, दवा, चारा,पानी के साथ गर्मियों में गायों के लिए पंखे एवं सर्दियों में शीतलहर से बचाव के लिए अलाव की व्यवस्था अलग से की जाती है | साथ ही सड़क पर दुर्घटनाग्रस्त हुई गायों को उपचार हेतु लाने के लिए गौ-वाहिनी (एम्बुलेंस) एवं स्ट्रेचर की भी व्यवस्था है | इसी के साथ विशेष आकर्षण का केन्द्र है गायों के लिए वाटर शावर की व्यवस्था जहाँ फोगर के माध्यम से गायों को नहलाने की भी व्यवस्था है |

संतों का पदार्पण
इस गौशाला में भारत भर के विख्यात सन्त-महन्त पधारकर कर चुके हैं गौ पूजन जिनमें प्रमुख रूप से प्रसिद्द रामकथा वक्ता श्री मोरारीबापू, श्री रमेशभाई ओझा, श्री राजेन्द्रदास जी महाराज, श्री हरिचरणदास जी महाराज, श्री चिदानन्द सरस्वती जी, श्री कृष्णानन्द जी, श्री उमाशंकर जी,श्री मैथिलिशरण जी आदि प्रमुख हैं |

यह गौ सेवा केन्द्र मध्य प्रदेश गौ संवर्धन एवं गौपालन बोर्ड भोपाल तथा एनीमल वेलफेयर बोर्ड ऑफ़ इण्डिया भारत सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त पंजीकृत गौशाला है |

एक घर-एक गाय
सदगुरु गौ सेवा केंद्र की संचालिका उषा जैन ने सभी क्षेत्र वासियों से अपील करते हुए कहा कि एक घर एक गाय लोग रखना शुरु कर दें जिससे जो आज की दशा में गोवंश सड़कों पर आवारा घूम रहे हैं तो उससे निजात मिल जाएगा। उन्होंने कहा कि गोवंश में 33 करोड देवताओं का वास रहता है इसलिए सब ही घर में 1 गोवंश होना जरूरी है। साथ ही उन्होंने कहा कि गाय को जब हम माता का दर्जा देते हैं तो उनके सेवा का दायित्व भी हम सभी का है | यदि आप अपने घरों में गौ सेवा करने में असमर्थ हैं तो अपनी नजदीकी गौशाला एवं गौ सेवा केन्द्र में जाकर तन-मन-धन से गौ सेवा में सहयोगी बनें एवं अपनी नयी पीढ़ी को भी इस पुनीत कार्य से जोड़ें ।

जावेद मोहम्मद विशेष संवाददाता भारत विमर्श चित्रकूट म०प्र०

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