डॉ कुसुम सिंह का इंडोनेशिया में व्याख्यान
1 min readचित्रकूट – महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय के कला संकाय अंतर्गत हिंदी विभाग की अध्यक्ष डॉ कुसुम सिंह अपनी इंडोनेशिया अंतर्राष्ट्रीय साप्ताहिक यात्रा पूर्ण कर वापस आ गई हैं। अंतर्राष्ट्रीय प्रवास के दौरान डॉ सिंह ने इंडोनेशिया के विभिन्न संस्थानों में आयोजित संगोष्ठी में सहभागिता कर रामायण केंद्रित अपने आलेख प्रस्तुत किए और व्याख्यान भी दिए।ग्रामोदय कैम्पस आने पर ग्रामोदय परिवार के लोगों ने स्वागत किया।डॉ कुसुम सिंह ने कुलपति प्रो भरत मिश्रा से सौजन्य भेंट कर अपनी इंडोनेशिया अकादमिक यात्रा का वृतांत प्रस्तुत करते हुए उन्हें बताया कि ग्रामोदय विवि के वैशिष्ट्य को ऑस्ट्रेलिया, जापान, मलेशिया, भारत व इंडोनेशिया के प्रतिनिधि मंडल के साथ शेयर करने का सुखद अनुभव रहा।डॉ सिंह ने बताया कि इंडोनेशिया में अनेक देशों की विद्द्वान समाज के लोगों की राय में एक मात्र रामायण ही शांति एवं विश्व बंधुत्व के विकास का आधार है और भारतीय संस्कृति के विस्तार का मूल स्रोत रामकथा है।
डॉ कुसुम सिंह ने बताया कि बाली स्थित पहली हिंदू यूनिवर्सिटी ‘सुग्रीव यूनिवर्सिटी ‘में आयोजित प्रथम इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस आफ हिंदू स्टडी में इन्होंने ‘द कंट्रीब्यूशन ऑफ रामायण (राम कथा )फॉर द पीस एंड यूनिवर्सल ब्रदरहुड’ विषय पर आलेख प्रस्तुत किया । इस कॉन्फ्रेंस में भारत, मलेशिया, इंडोनेशिया ,ऑस्ट्रेलिया एवं जापान के प्रतिभागी सम्मिलित थे। इसी क्रम में यायासन धर्म स्थापना ,इंडोनेशिया एवं साहित्यिक सांस्कृतिक संस्थान, मुंबई के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित इंटरनेशनल रामायण कॉन्फ्रेंस में डॉक्टर सिंह ने सहभागिता पर अपना व्याख्यान दिया। इस अवसर पर धर्म स्थापना संस्थान ,इंडोनेशिया के प्रेसिडेंट प्रो. ई मादे धर्मयश के कर कमलों से डॉ सिंह ने ‘वर्ल्ड रामायण सारस्वत सम्मान’भी प्राप्त किया।इन्होंने अपनी यात्रा के अनुभव के विषय में बताया कि यह यात्रा इंडोनेशिया की जीवन -शैली में व्याप्त भारत के सनातन धर्म, रामायण एवं राम -संस्कृति को जानने- समझने की दृष्टि से प्रेरक और सुखद रही । डॉक्टर.सिंह ने अपनी यात्रा के दौरान बाली और जावा स्थित विभिन्न प्राचीन हिंदू मंदिरों ,स्मारकों एवं रामकथा से संबंधित स्थलों का भ्रमण कर अनुसंधानपरक जानकारियां लीं। बाली,इंडोनेशिया में वर्ष भर आयोजित होने वाली रामलीला की अद्भुत मनोरम झलकियों की चर्चा करते हुए इन्होंने कहा कि हमारे देश में रामायण के प्रचार -प्रसार एवं राम संस्कृति के विस्तार के लिए निरंतर रामलीला का आयोजन होना चाहिए। बाली के विभिन्न चौराहों एवं राजमार्गों पर स्थापित रामायण- महाभारत के चरित्र नायकों के साथ ही हनुमान ,गणेश, सरस्वती की प्रतिमाएं एवं प्रतीक चिह्न पूरे इंडोनेशिया में हिंदू सनातन धर्म, भारतीय संस्कृति एवं परंपराओं को मानो साकार कर रहे थे।
जावेद मोहम्मद विशेष संवाददाता भारत विमर्श चित्रकूट म०प्र०