भारतीय भाषा उत्सव
1 min read चित्रकूट – महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय के कला संकाय अंतर्गत हिंदी विभाग के तत्वावधान में भारतीय भाषा दिवस के अवसर पर ‘ भारतीय भाषा उत्सव’ कार्यक्रम काआयोजन किया गया। कार्यक्रम के अंतर्गत ‘भारतीय भाषाओं में भारतीयता के तत्व ‘विषय पर संगोष्ठी का आयोजन हुआ ,जिसमें विद्वान शिक्षकों,विशेषज्ञों एवं शोधार्थियों ने अपने विचार व्यक्त किए ।कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रोफेसर नंदलाल मिश्र ,अधिष्ठाता ,कला संकाय ने की।
अध्यक्षीय उद्बोधन में प्रोफेसर नंदलाल मिश्र ने कहा कि भारतीयता के मूल तत्व के रूप सनातन पुरुषार्थ के चार आयामों के रूप में धर्म ,अर्थ, काम ,मोक्ष को महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने कहा कि भारतीयता का प्रमुख तत्व परिवार एवं आध्यात्मिक लक्ष्य की प्राप्ति है । भारतीयता के ये मूल तत्व सदैव मानव जीवन में विद्यमान रहते हैं। प्रोफेसर मिश्र ने हिंदी भाषा साहित्य के कालजई रचनाकारों- गोस्वामी तुलसीदास ,प्रेमचंद आदि की रचनाओं का दृष्टांत देते हुए बताया कि गोस्वामी तुलसीदास कृत रामचरितमानस की कलजयता एवं लोकप्रियता का मुख्य कारण इस रचना में भारतीयता का पाया जाना है। इन्होंने छात्रों को आह्वान करते हुए कहा कि वे आधुनिक भारतीय भाषाओं के साहित्य का अध्ययन गंभीरता से करते हुए उसे हिंदी भाषा के साथ आत्मसात करें तभी भाषाओं की समृद्धि होगी ।विषय -प्रवर्तन करते हुए डॉक्टर कुसुम सिंह ,अध्यक्ष ,हिंदी विभाग ने भारतीय भाषा दिवस एवं भारतीय भाषा के उत्सव के मनाए जाने के उद्देश्य एवं महत्व पर प्रकाश डाला ।इन्होंने इस अवसर पर तमिल के कवि चिन्नास्वामी सुब्रह्मण्यम भारती को याद करते हुए उनके साहित्यिक अवदान को रेखांकित किया ।भारतीय साहित्य में विद्यमान भारतीय तत्वों का उल्लेख करते हुए कहा कि हमें प्रत्येक भारतीय भाषाओं के प्रति सम्मान व समरसता का भाव रखना चाहिए। प्रोफेसर वीरेंद्र व्यास ने भारतीय साहित्य में विद्यमान अभिव्यक्ति की भाषाई समरसता एवं जीवन तत्व की व्यापकता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि छात्रों को भारतीय भाषाओं में अभिव्यक्त देश की महत्वपूर्ण घटनाओं,प्रसंगों एवं मानवीय मूल्यों का अध्ययन करना चाहिए ।डॉक्टर नीलम चौरे ने कहा कि भाषाओं का ज्ञान मानव के व्यक्तित्व का विकास करता है अत:अपनी मातृभाषा के संस्कार ,प्रभाव एवं क्षमता को ग्रहण करना चाहिए।डॉक्टर अजय चौरे ने अपना वक्तव्य में कहा कि भारतीय भाषाओं के प्रति अनुराग का भाव, संदर्भ ,पारस्परिक संबंध एवं समन्वय आवश्यक है ।कार्यक्रम का कुशल संचालन डॉक्टर ललित कुमार सिंह द्वारा किया गया।कार्यक्रम में कला संकाय के शिक्षक ,हिंदी विभाग के शोधार्थी एवं छात्र-छात्राएं उपस्थित थे।
जावेद मोहम्मद विशेष संवाददाता भारत विमर्श चित्रकूट म०प्र०