April 29, 2024

चित्रकूट की पवित्र सलिला पयस्वनी के लिए  पुनर्जीवन यात्रा

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चित्रकूट – चित्रकूट क्षेत्र में पूर्व में प्रवाहित होने वाली पवित्र सलिला  पयस्वनी   पुनर्जीवन यात्रा प्रोफेसर घनश्याम गुप्ता ऊर्जा एवं पर्यावरण विभाग, महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय की अगुवाई  निकाली गई। यात्रा में ग्रामोदय विश्वविदयालय के एमएससी पर्यावरण विज्ञान एवं एमएसडब्ल्यू के छात्रों ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया। यह यात्रा नदी के उद्गम स्थान ब्रह्मकुण्ड को जलपोषित करने वाले मुख्य सहायक नाला कोठियार नाला के मूल स्थान ग्राम  सुरांगी,तहसील मझगवां,सतना से प्रारंभ हुई ।यात्रा के शुरुआत में गांव वालों एवं गांव के विद्यालय के छात्रों व शिक्षकों के साथ यात्रा के संबंध में विस्तृत चर्चा हुई एवं बताया गया यह यात्रा जल संरक्षण व संवर्धन के प्रति क्षेत्र के लोगों को जागरुक करने के उद्देश्य से की जा रही है ताकि पयस्वनी पुनर्जीवित हो सके ।वहां से आगे बढ़कर यात्रा पैदल ही बाबूपुर गांव पहुंची।वहां पर गांव वालों से यात्रा के विषय में चर्चा की गई एवं उनको बताया गया कि यह यात्रा  पावन सलिला पैसुनी के पुनर्जीवन के  उद्देश्य को लेकर की जा रही है, इसमें जन सहभागिता अति आवश्यक है।  बाबूपुर के बाद आगे बढ़कर यात्रा सेमरिया गांव पहुंची, वहां गांव वालों को बताया गया कि हम जल का संभरण उस अनुपात में नहीं करते, जिस अनुपात में उसका डिस्चार्ज करते हैं।  हमें जल संभरण  पर अधिक ध्यान देना होगा ताकि पयस्वनी जैसे अन्य जल स्रोत पुनर्जीवित हो सके। इसी को लेकर यह यात्रा निकाली जा रही है।प्रारंभ में जब यह नदी इस गांव से होकर गुजरती थी तब यहां पर खुशहाली व संपन्नता बहुत अच्छी थी। अतः हमको पुनः उसे प्राप्त करना होगा। सेमरिया के बाद यात्रा भगनपुर गांव पहुंची एवं गांव वालों के समक्ष यात्रा के मूल उद्देशों को रखा गया तथा बताया गया कि कोठियार नाले में हमें कौन-कौन से कार्य किए जाने है कि यह पुन:जल पूरित होकर ब्रह्मकुंड को जल की आपूर्ति करें ताकि पयस्वनी
पुनर्जीवित हो सके। इन सबके लिए हमको बरसात के पानी का संचयन करना होगा ताकि बरसात का अमृत जैसा पानी बहकर बर्बाद ना हो सके न इस नाले की सफाई करनी होगी एवं जगह जगह पर पानी रोकने के उपाय किए जाने होंगे। भगनपुर के बाद हमारी यह यात्रा बालापुर,एकलव्य विद्यालय  एवं महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय कृषि फार्म से होते हुए ब्रह्मकुंड पर पहुंची। ब्रह्मकुंड में यात्रा में शामिल सभी छात्रों को कुण्ड के महत्व के बारे में बताया गया। विगत वर्ष राजस्व विभाग के अधिकारियों द्वारा पयस्वनी नदी की खुदाई करवाई गई जिससे जलधारा भी प्राप्त हुई इसके उपरांत  यात्रा जानकीकुंड,  दास हनुमान, रामधाम होते हुए राघव प्रयाग घाट पर पहुंची जहां पर पूर्व में पयस्वनी व सरयू का संगम मंदाकिनी में होता था। यह वही घाट है जहां पर भगवान राम ने अपने पिता दशरथ जी का पिंडदान किया था।

भरत घाट में हुई संगोष्ठी

राघव प्रयाग घाट के बगल में स्थित  भरत घाट में एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसमें विश्वविदयालय  के प्राध्यापक,कर्मचारी,कामतानाथ प्रमुख द्वार के सन्त मदन गोपाल दास,तथा चित्रकूट के गणमान्य नागरिको ने भाग लिया।डॉ घनश्याम गुप्ता द्वारा यात्रा का संपूर्ण विवरण व संस्मरण सभी के समक्ष प्रस्तुत किया गया इस कार्य को लक्ष्य तक पहुंचाने के लिए हमें लगातार क्षेत्रीय लोगों को जागरुक करना होगा तथा कार्य की प्रगति की समीक्षा करनी होगी। इसमें लगातार यह सोचना होगा कि हम अपने लक्ष्य के करीब कितना पहुंच रहे हैं  एव लक्ष्य को प्राप्त करने में क्या क्या दिक्कतें हैं उनको किस तरह से हल किया जा सकताहै । इस अवसर पर ग्रामोदय विश्वविद्यालय प्रो के के सिंह , प्रोशशिकांत त्रिपाठी एवं ऊर्जा व पर्यावरण  की विभागाध्यक्ष डॉ साधना चौरसिया ने  अपने विचार व्यक्त किए। संत मदन गोपाल दास ने बताया कि पूर्व में चित्रकूट में तीन गंगा मन्दाकिनी,पयस्वनी व सरयू बहा करती थीं। वर्तमान में केवल एक ही मन्दाकिनी बहती हैं। पयस्वनी व सरयू विलुप्त हो चुकी हैं। यहां तक कि अतिक्रमण के कारण कई जगहों पर  इनके प्रवाह मार्ग का भी पता नहीं चल पा रहा। पिछले वर्ष प्रशासन ने पयस्वनी  को पुनर्जीवित करने के लिए भी सराहनीय प्रयास किया था ।  इस तरह के सतत प्रयास से ही पयस्वनी पुनर्जीवित हो सकेंगी। प्रो .गुप्ता ने  आभार व्यक्त किया ।

जावेद मोहम्मद विशेष संवाददाता भारत विमर्श चित्रकूट म०प्र०

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