May 18, 2024

इतिहास सीरीज: गुलाम भारत से आजाद भारत तक…

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अनुज अवस्थी, इतिहास सीरीज: 1757 के प्लासी युध्द के बाद ब्रिटिश भारत में राजनैतिक सत्ता जीत गए। और यही वो वक्त था जब अंग्रेज भारत आए और उन्होंने तकरीबन 200 साल तक भारत पर राज किया है। आज हम आपको इस इतिहास सीरीज में भारतवर्ष की आजादी को लेकर एक-एक पहलू से रुबरु करवाएंगे। 1848 का वो दौर जब भारत पर लाॅर्ड डलहौजी ने अपना शासन स्थापित किया। और बहुत ही कम समय में यानि 1856 तक आते-आते उन्होंने भारत पर अपना मजबूत अधिकार स्थापित कर लिया।

और उसके बाद एक ऐसे दौर का आगाज हुआ, जब भारत पूरी तरह गुलामी की जंजीरों में जकड़ गया। उसके बाद हिंदुस्तान लाचारी, बेबसी और कराहती मानवता के साये में जीने को मजबूर हो गया। उस समय किसी ने आजाद मुल्क होने की परिकल्पना भी नहीं की होगी। सोने की चिड़िया कहे जाने वाले इस हिंदुस्तान को ब्रिटिश हुकूमत और अंग्रेजों ने गुलामी की हथकड़ियों में जकड़ कर रखा हुआ था। हर भारतवासी की सांस पर सिर्फ एक ही हुकूमंत चलती थी और वो थी ब्रिटिश हुकूमत। दरअसल ये अंग्रेजी शासक भारतवर्ष को दिनों-दिन खोखला करते चले जा रहे थे। इतना ही नहीं उस समय देश में इन गोरों ने जाति, रंग और समुदाय के नाम पर हर घड़ी उन्हें प्रताड़ित किया।

1857 का विद्रोह:

1857 की गदर गाथा का आगाज बेरोजगार सैनिकों के विद्रोह से हुआ। इन भारतीय सैनिकों की बेरोज गारी का कारण था वो नए किस्म का कारतूस जिसे एनफील्ड नामक राइफल में डालकर चलाया जाता था। दरअसल, इन कारतूसों पर सुउर और गाय की चरबी चड़ी हुई थी। इन कारतूसों को राइफल में लोड करने से पहले इन पर चड़ी परत को मूंह से छीलना पड़ता था। लेकिन भारतीय नागरिकों ने अपने धर्म की पवित्रता को ध्यान में रखते हुए ऐसा करने से इंकार कर दिया।

यह हिंदू और मुस्लिम दोनों ही धर्मों के सैनिकों को धार्मिक कारणों से मंजूर नहीं था। जिसके चलते उन्हें बेरोजगारी का रास्ता अपनाना पड़ा। इतिहास कारों के मुताबिक ये विद्रोह बेहद ही कम समय में दिल्ली और आस-पास के राज्यों में आग की तरह फैल गया। देश के अलग-अलग हिस्सों में इस विद्रोह ने आजदी की इबारत रचनी चाही लेकिन ये असफल रहा। और अंग्रेजों ने इसका बदला भारतीय नागरिकों की बड़े पैमाने पर हत्या और लूट-पाट करके लिया। महज एक साल के अंतराल में ब्रिटिश सरकार ने इस विद्रोह को काबू में कर लिया। हालांकि, कुछ समय के बाद अंग्रेजो ने ईस्ट इंडिया कंपनी को बंद कर दिया। और इसके बाद नई रणनीति और नई नीतियों के साथ ब्रटिश सरकार का उदय हुआ। और महारानी विक्टोरिया का शासन स्थापित हुआ।

भारत में कांग्रेस पार्टी की स्थापना:

सन 1876 में सुरेंद्रनाथ बैनर्जी ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना की। कांग्रेस पार्टी की स्थापना के पीछे मकसद था पिछड़े और मध्यम वर्गीय समाज को आगे बड़ाना। 1906 में कांग्रेस के कलकत्ता अधिवेशन में स्वराज की प्राप्ति की घोषणा हुई। और इसी के साथ भारत में स्वदेशी आंदोलन की शुरुआत हुई। 1905 में बंगाल का विभाजन हुआ। और देश की राजधानी कलकत्ता से बदलकर दिल्ली कर दी गई। सन 1909 में ब्रटिश सरकार ने भारत में कई सुधारों को लागू किया जिसमें से एक था मार्ले मिंटो सुधार, जिसका लक्ष्य विकास कम हिंदु मस्लिम के बीच भेदभाव करना ज्यादा था। जहां एक तरफ सुधारवादी योजनाएं बन रहीं थी तो वहीं दूसरी ओर पंजाब में जलियांवाला बाग नरसंहार हुआ, जहां बैसाखी मनाने के लिए लोग इकट्ठे हुए थे।

आजादी में महात्मा गांधी की भूमिका:

1914-18 के प्रथम विश्वयुध्द के बाद महात्मा गांधी अपनी अफ्रीका की यात्रा समाप्त कर भारत लोटे। और गुलाम भारत की परिस्थितियों को मद्देनजर रखते हुए अहिंसक आंदोलन सत्याग्रह शुरु किया।

असहयोग आंदोलन:

ब्रिटिश सरकार का भारतीय नागरिकों पर अत्याचार दिनों दिन बड़ता जा रहा था। अंग्रेजों का भारत के प्रति निस्पक्ष व्यवहार की कमी के चलते मोहनदास करमचंद गांधी ने 1920 में असहयोग आंदोलन की शुरुआत की। ये आंदोलन 1922 तक चला, और ये पूर्ण रुप से सफल रहा।

साइमन कमीशन:

असहयोग आंदोलन के खत्म होने के तुरंत बाद भारत की सरकार में नया कमीशन बनाया गया जिसमें सुधारों में किसी भारतीय सदस्य को शामिल नहीं किया गया और ‘स्वराज’ की मांग को भी मानने का कोई इरादा नहीं था। लाला लाजपत राय के नेतृत्व में कई बड़े प्रदर्शन किए।

नागरिक अवज्ञा आंदोलन:

दिसंबर 1929 में नागरिक अवज्ञा आंदोलन शुरु किया गया, जिसका लक्ष्य ब्रिटिश सरकार को पूरी तरह अनदेखा करना और अवज्ञा करना था। इस आंदोलन के दौरान ही भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को गिरफ्तार कर फांसी की सजा सुनाई गई।

भारत छोड़ो आंदोलन:

अगस्त 1942 में गांधीजी ने इस आंदोलन को शुरु किया। इसका लक्ष्य ब्रिटिश शासन से पूरी तरह आज़ादी हासिल करना था और यह ‘करो या मरो’ की स्थिति के रुप में सामने आया। तोड़फोड़ और हिंसक घटनाओं की कई वारदातें सामने आईं। अंत में सुभाष चंद्र बोस ब्रिटिश हिरासत से भाग गए और इंडियन नेशनल आर्मी का गठन किया। अगस्त 1947 में भारत को शासकों, क्रांतिकारियों और उस समय के नागरिकों की कड़ी मेहनत, त्याग और निस्वार्थता के बाद स्वतंत्रता हासिल हुई।

 

 

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