October 12, 2024

आज लगेगा पूर्ण सूर्य ग्रहण, 54 साल बाद दुर्लभ संयोग

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भोपाल – 8 अप्रैल यानी आज लगने जा रहा है पूर्ण सूर्य ग्रहण, जो 54 साल में सबसे लंबा पूर्ण सूर्य ग्रहण होगा। चैत्र मास की अमावस्या के दिन लगने जा रहा साल का पहला सूर्यग्रहण, जो बहुत ही अहम माना जा रहा है। सूर्य ग्रहण एक खगोलीय घटना है। जब सूरज और पृथ्वी के बीच चंद्रमा आ जाता है तब सूर्य ग्रहण लगता है। जानिए क्या होता है पूर्ण सूर्य ग्रहण और ये सूर्य ग्रहण बहुत खास माना जा रहा है।

रात 9 बजकर 12 मिनट से रात 2 बजकर 22 मिनट का होगा ग्रहण

8अप्रैल, सोमवार को साल 2024 का पहला सूर्य ग्रहण लग रहा है। यह ग्रहण रात 9 बजकर 12 मिनट पर शुरू होगा, समापन रात 2 बजकर 22 मिनट पर होगा। इस सूर्यग्रहण का मध्य समय रात 11 बजकर 47 मिनट पर होगा। यह पूर्ण सूर्यग्रहण होगा। ग्रहण की अवधि 05 घंटे 10 मिनट की होगी। यह ग्रहण मीन राशि और रेवती नक्षत्र में लगने जा रहा है। यह भारत में दिखाई नहीं देगा, इसलिए इस ग्रहण का सूतक काल नहीं माना जाएगा

सूतक काल भारत में मान्य नहीं होगा
ग्रहण भारत में नहीं दिखेगा, इसलिए इसका सूतक काल भारत में मान्य नहीं होगा। यानी कि इस ग्रहण का देश दुनिया पर भौतिक प्रभाव, आध्यात्मिक प्रभाव, सूतक का प्रभाव या किसी प्रकार का धार्मिक प्रभाव नहीं पड़ने वाला है। शास्त्रों के अनुसार ग्रहण जहां लगता है और जहां दिखता है इसका प्रभाव भी वहीं पड़ता है।

इतना लंबा सूर्य ग्रहण 54 साल बाद
इस साल का पहला सूर्य ग्रहण अपने आप में ही खास माना जा रहा है। यह पूर्ण सूर्य ग्रहण काफी लंबा सूर्य ग्रहण माना जा रहा है। ऐसा संयोग पूरे 54 साल बाद बन रहा है। हालांकि, यह ग्रहण भारत में दृश्यमान नहीं होगा। बल्कि, कनाडा, उत्तरी अमेरिका, मैक्सिको में दिखाई देगा। इस पूर्ण सूर्य ग्रहण की शुरुआत दक्षिण प्रशांत महासागर से होगी।

कहां कहां दिखेगा ये सूर्य ग्रहण
यह सूर्य ग्रहण कनाडा, उत्तरी अमेरिका, मैक्सिको में दिखाई देगा। इसके अलावा कोस्टा रिका, क्यूबा, डोमिनिका, फ्रेंच पोलिनेशिया, जमैका में ये ग्रहण दिखेगा।

ग्रहण के दौरान क्या न करें
. ग्रहण के दौरान धरती पर नकारात्मक शक्तियां हावी रहती हैं। इसलिए सूनसान जगह, श्मशान पर अकेले नहीं जाना चाहिए।
. शास्त्रों के अनुसार, ग्रहण के समय सोने से बचना चाहिए, सूई में धागा नहीं लगाना चाहिए।
. इसके अलावा ग्रहण के दौरान यात्रा करने से भी बचना चाहिए और शारीरिक संबंध भी नहीं बनाना चाहिए।

क्या करें
. ग्रहण के दौरान सूर्य को सीधे देखने से बचना चाहिए।
. ग्रहण समाप्त होने के बाद गंगाजल से स्नान करना चाहिए। पूरे घर और घर में स्थापित देवी देवताओं को शुद्ध करना चाहिए।
. ग्रहण के दौरान घर से बाहर जाने से बचें।
. ग्रहण के बाद हनुमान जी की पूजा करें।

पौराणिक कथाओं के अनुसार सूर्यग्रहण
पौराणिक कथाओं के मुताबिक, ग्रहण का संबंध राहु और केतु ग्रह से है। शास्त्रों में बताया गया है कि समुद्र मंथन के बाद जब देवताओं और राक्षसों में अमृत से भरे कलश के लिए युद्ध हुआ था। तब उस युद्ध में राक्षसों की जीत हुई थी और राक्षस कलश को लेकर पाताल में चले गए थे। तब भगवान विष्णु ने मोहिनी अप्सरा का रूप धारण किया और असुरों से वह अमृत कलश ले लिया था। इसके बाद जब भगवान विष्णु ने देवताओं को अमृत पिलाना शुरू किया तो स्वर्भानु नामक राक्षस ने धोखे से अमृत पी लिया था और देवताओं को जैसे ही इस बारे में पता लगा उन्होंने भगवान विष्णु को इस बारे में बता दिया। इसके बाद भगवान विष्णु ने सुदर्शन चक्र से स्वर्भानु का सिर धड़ से अलग कर दिया। बताया जाता है कि स्वर्भानु के शरीर के 2 हिस्सों को ही राहु और केतु नाम से जाना जाता है और देवताओं से अपमान का बदला लेने के बाद वह सूर्य और चन्द्र से बदला लेने के लिए बार-बार ग्रहण लगाते हैं।

भारत विमर्श भोपाल मध्य प्रदेश

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