December 13, 2025

चित्रकूट में लगता है गधों का ऐतिहासिक मेला,औरंगजेब ने यहीं से खरीदे थे खच्चर

1 min read

चित्रकूट – आप सब ने बचपन में मेले तो बहुत देखे सुने होंगे और घूमा भी होगा, मगर क्या आपने कभी गधों का मेला देखा है। जी हां, भले ही आप इस मेले के बारे में पहली बार सुन रहे हैं, लेकिन भारत का इकलौता गधों का मेला मध्य प्रदेश जिले के सतना की धार्मिक नगरी चित्रकूट में वर्षों से यह ऐतिहासिक ​मेला लगता आ रहा है। अलग-अलग प्रदेशों से व्यापारी खच्चर-गधे लेकर चित्रकूट पहुंचते हैं। यहां खच्चरों-गधों की बोली-बोली जाती है। यहां खरीदारों के साथ-साथ मेला घूमने वालों की भी भारी भीड़ भाड़ रहती है।

बताते चलें कि इस मेले की शुरुआत मुगल बादशाह औरंगजेब ने करवाई थी। तब से लेकर आज तक मेला लगातार लगता आ रहा है। यह मेला तीन दिन तक लगता है। लोगों का दावा है की मुगल शासक औरंगजेब की सेना में जब रसद और असलहा ढोने वालो में कमी हो गई तो पूरे क्षेत्र से खच्चरों-गधों के मालिकों को इसी मैदान में एकत्र कर उनके गधे खरीदे गए थे। तभी से प्रारंभ हुआ व्यापार का यह सिलसिला हर वर्ष लगता चला आ रहा है।
देश का इकलौता अनोखा मेला को केवल देखने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं, दीपावली के दूसरे दिन से चित्रकूट के पवन पवित्र मंदाकिनी नदी के तट पर तीन दिवसीय मेला आयोजित होता है, मेले में काफी दूर-दूर से लोग अपने खच्चर – गधे लेकर आते हैं और खरीद बिक्री करते हैं। वहीं, तीन दिन के मेले में लाखों का कारोबार किया जाता है।
यहां गधे- खच्चर खरीददारों के अलावा इनको देखने वालों की भीड़ उमड़ती है. आज के टेक्नोलॉजी के दौर पर लोग आधुनिकता की ओर बढ़ते चले जा रहे हैं, लेकिन आज भी सालों पुरानी है परंपरा चित्रकूट में बखूबी चली आ रही है। इस मेले में गधे और खच्चरों की कीमत हजारों लाखों रुपए तक बोली जाती है, और व्यापारी तो अपने गधों के नाम तो फिल्मी स्टारों के नाम पर रखते हैं कोई सलमान तो कोई शारूख तो कोई कैटरीना तो कोई मोदी। हालांकि मुगल काल से प्रारंभ हुआ यह मेला अब सुविधाओं के अभाव में कम होता जा रहा है, लेकिन इस विरासत को संजों कर रखने वाले आज भी मेले का आयोजन करते आ रहे हैं।

जावेद मोहम्मद विशेष संवाददाता भारत विमर्श चित्रकूट म०प्र०

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *