एक मा ने ठानी गरीब बच्चियों के जीवन से अंधियारा मिटाने की जिद
1 min readसतना – जिद और जुनून की ऐसी हद किसी-किसी इंसान के अंदर ही देखने को मिलती है, जी हां, हम बात करने वाले हैं सतना की एक ऐसी महिला की जो 110 बच्चों के लिए ‘मां’ बन गई, मां भी ऐसी कि आर्थिक रूप से कमजोर एक सैकड़ा से ऊपर बच्चियों के सुख-दुख की हिस्सेदार बन गई, सोनिया भले ही पेशे से टीचर नहीं हैं, मगर इस धर्म को उन्होंने बखूबी निभाया है, सोनिया जॉली करीब 8 सालों से गरीब बच्चियों की पढ़ाई का खर्च उठा रही हैं। सोनिया की उपकार हम हैं संस्था ने 8 साल पहले महज 6 बच्चियों को पढ़ाने का बीड़ा उठाया था, बाद में बच्चियां जुड़ती गईं और कारवां बनता गया, सोनिया जॉली की खास बात ये है कि वो सिर्फ आर्थिक रूप से कमजोर लड़कियों के पढ़ाई की जिम्मेदारी उठाती हैं, लड़कों की नहीं, आज 110 बच्चियां कक्षा 1 से लेकर ग्रेजुएशन तक की पढ़ाई कर रही हैं, ऐसे बच्चों को वो आज भी अपने घर पर ट्यूशन देती हैं, सोनिया पहले एक सेंटर चलाती थीं अब शहर के अलग-अलग हिस्सों में 4 सेंटर चलते हैं, 18 लड़कियां कॉलेज में अध्ययनरत हैं जबकि ट्यूशन के लिए उन्होंने अलग-अलग विषयों के शिक्षक भी हायर किए हैं जो बच्चियों को शिक्षित कर रहे हैं, शिक्षा की अलख जगाने के साथ-साथ बच्चियों को अन्य एक्टिविटीज से भी जोड़ा गया है, मसलन, ये मेहंदी, आर्ट क्राफ्ट, कैरम, जूडो-कराटे, चेस, डांस, सिंगिंग, स्केटिंग में भी पारंगत हैं, बच्चियां सोनिया को मां कहकर ही पुकारती हैं, आज वो अपने आप को 110 बच्चियों की ‘मां’ कहलाने में ज्यादा फख्र महसूस करती हैं, उपकार संस्था इसके लिए न तो कोई सरकारी इमदाद लेती और न ही किसी गैर से आर्थिक मदद, बस संस्था से 45 महिलाएं जुड़ी हैं जो हर माह अपनी ओर से फंड एकत्रित करती हैं और यूनिफार्म से लेकर कोचिंग, स्टाफ के खर्च तथा एक वक्त के खाने की व्यवस्था करती हैं।
आहेश लारिया ब्यूरोचीफ भारत विमर्श सतना म०प्र०