महिला बाल विकास अधिकारियों की शह पर आंगनवाड़ी कार्यकर्ताएं हुई बेलगाम
1 min readमझगवां – एमपी अजब है,और भ्रष्टाचार गजब है।यह हम नहीं कहते हैं,बल्कि प्रदेश की जमीनी हकीकतें चीख चीख की इसकी गवाही दे रही हैं।प्रदेश में शायद ही ऐसा कोई विभाग हो जिसमे आकंठ भ्रष्टाचार न हो। हां इतना जरूर है कि प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह चौहान जरुर बीच बीच में उछलकूद करके अपने आप को देश का सर्वश्रेष्ठ मुख्यमंत्री साबित करने में लगे रहते हैं।लेकिन सच्चाई इसके बिल्कुल उलट है।और पूरे प्रदेश में भ्रष्टाचार की लबालब गंगोत्री बह रही है।जिसमे अधिकारी कर्मचारी और जनप्रतिनिधि सब मिल करके डुबकी लगा रहे हैं।
बात हम कर रहे हैं महिला बाल विकास विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार और इसके अधिकारियों कर्मचारियों की,जिनकी कार्यशैली और खाऊ कमाऊ नीति के चलते नीचे से ऊपर तक केवल और केवल भ्रष्टाचार व्याप्त है।जिसके कारण जहां बच्चे कुपोषण का शिकार होकर असमय काल के गाल में समा जा रहे हैं,तो वहीं ग्रामीण इलाकों में महिलाओं को किसी भी सरकारी योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है।इस मामले में पूरे प्रदेश में सबसे अधिक कुख्यात सतना जिले की मझगंवा तहसील में हालात बेहद गंभीर है।सतना जिले की मझगंवा तहसील पूरे देश में बच्चों के कुपोषण के मामले में कुख्यात है।और इसमें सबसे अधिक योगदान अगर किसी का है तो वो दो विभाग हैं महिला बाल विकास विभाग और स्वास्थ्य बेहतर विभाग।
बीते दिनों सतना जिले में और खासकर जिले की मझगंवा तहसील में महिला बाल विकास विभाग द्वारा संचालित आंगनवाड़ी केंद्रों में व्याप्त भ्रष्टाचार और भर्रेशाही के अलावा स्वास्थ्य महकमे की लापरवाही से लगातार कुपोषण के मामले सामने आए।और तमाम मौतें भी हुई।जिसके बाद प्रदेश की सरकार द्वारा जांच टीम बनाकर जांच करवाई गई।और जांच के बाद मझ्गंवा ब्लॉक में पदस्थ सीडीपीओ भागवती पाण्डेय सहित सुपर वाइजर प्रीति पाण्डेय को निलंबित कर दिया गया था,तो वहीं आंगनवाड़ी केन्द्र सुरांगी की कार्यकर्ता पूजा पाण्डेय को पद से पृथक कर दिया गया था।बावजूद इसके भी कुत्ते की टेढ़ी पूंछ की तरह मझ्गंवा तहसील में हालात नही बदले।
ताजा मामला तहसील अंर्तगत ग्राम पंचायत नकैला के लोधन पुरवा गांव का है।जहां गांव में स्थित आंगनवाड़ी केन्द्र में पदस्थ कार्यकर्ता राजकुमारी मिश्रा के द्वारा बीते 3 माह से आंगनवाड़ी केन्द्र का ताला ही नहीं खोला गया।जिसके कारण जहां बच्चे पोषण आहार से वंचित हो रहे हैं।तो वहीं ग्रामीण महिलाओं को किसी भी सरकारी योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है।
ग्राम पंचायत के पंच छोटेलाल सिंगरौल द्वारा जानकारी देते हुए बताया गया कि आंगनवाड़ी कार्यकर्ता की हरकतों से ग्रामवासी बेहद परेशान हैं।उन्होंने बताया कि बीते तीन महीने से आंगनवाड़ी केन्द्र का ताला नहीं खोला गया है।इस संबंध में जब भी आंगनवाड़ी कार्यकर्ता राजकुमारी मिश्रा से बात की जाती है,तब तब उनके द्वारा यह कहा जाता है कि मुझे शासन से केवल पांच हजार रु वेतन मिलता है।इतने वेतन में इसी प्रकार से आंगनवाड़ी केन्द्र संचालित किया जाएगा। इसी प्रकार ग्रामीण महिला द्वारा आक्रोश व्यक्त करते हुए कहा गया कि अगर इसी तरह से आंगनवाड़ी केन्द्र में ताला लटका रहने से ज्यादा अच्छा है कि इसे पूरी तरह से बंद कर दिया जाय। कुल मिलाकर अगर यह कहा जाए कि सरकार चाहे जितना सुशासन का राग अलापे,लेकिन तस्वीर अभी भी केवल काली ही है।
भारत विमर्श भोपाल ०प्र०