April 24, 2024

चित्रकूट में सिक्कों का चलन बंद होने से हो रही है परेशानियां

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चित्रकूट: भारतीय मुद्रा का हाल- रूस की हाँ भिखारी की नहैरानी की बात है कि रुपये की साख इतनी बढ़ चुकी है कि वह अब रूबल पर भारी होकर कच्चा तेल खरीदने की कूबत रखता है, लेकिन वहीं दूसरी तरफ अपने ही देश के भिखारियों के सामने इसकी औकात कौड़ी भर की नही रही है। भारतीय टकसाल में ढाल कर बनाये गए और रिजर्व बैंक द्वारा जारी किए गए एक व दो रुपे के सिक्के भिखारियों को देने पर वह लोगों पर न केवल फेंक कर मारते है बल्कि देने वाले को गालियां का उपहार भी देते है।चित्रकूट में सिक्कों का चलन बंद हो रही परेशानी चित्रकूट में जँहा शहर में छोटे सिक्के आम लोगों व व्यापारियों के लिए परेशानी का सबब बन गया हैं। सामान की खरीदारी के दौरान आए दिन व्यापारियों व ग्राहकों में सिक्कों को लेकर विवाद की स्थिति बनती जा रही है। ऑटो व ई रिक्शा चालक भी सिक्कों के लेनदेन में मना करते हैं। यहां तक कि मंदिरों में भी अब पुजारी एक व दो रुपये के सिक्के नहीं बल्कि दस रुपए से अधिक का चढ़ावा ले रहे हैं। रेलवे स्टेशन और बस स्टैंड या फिर शहर में भिखारी भी छोटे सिक्के लेने से मना कर रहे हैं। भारतीय रिजर्व बैंक की गाइड लाइन के अनुसार भले ही एक, दो, पांच व दस रुपए के सिक्केे चलन में रखे गए हो, लेकिन बावजूद इसके एक व दो रुपये के सिक्कों को लेकर तमाम मुश्किलें खड़ी हो रही हैं। शहर में एक व दो रुपए के सिक्के के लेनदेन को लेकर आए दिन दुुकानदारों व ग्राहकों में विवाद की स्थिति पैदा हो रही है। ग्राहक जब सामान लेने के लिए दुकानों पर पहुंच रहे हैं, तो अधिकांश फुुटकर व थोक विक्रेता छोटे सिक्के लेने से मना कर दे रहे हैं। जिससे ग्राहकों का विवाद आए दिन दुकानदारों से देखने को मिल रहा है। वहीं कई बार जब दुकानदार भी ग्राहकों को फुटकर रुपए के बदले सिक्के थमाते हैं, तो ग्राहक भी मना कर दे हैं। ऐसे में कुछ दिनों से शहर में छोटे सिक्कों का लेनदेन बिल्कुल बंद हो गया है। वहीं जब दुकानदार भी एक हजार रुपए या इससे अधिक रुपए के छोटे सिक्के लेकर बैंकों में जमा करने पहुंचते हैं, तो बैंकों पर भी सिक्के जमा नहीं करने के आरोप लगाए जा रहे हैं। ऐसे में कई बड़े व खुदरा व्यापारियों के पास एक से दो लाख रुपए तक के सिक्के जमा हो गए हैं। जिसके चलते अब शहर में छोटे सिक्कों का लेनदेन परेशानी का सबब बन गया है। हालांकि, बैंकों के अधिकारी एक हजार रुपए तक के सिक्के जमा आसानी से करना बता रहे हैं।भिखारी भी मांगता दस का नोट, सिक्के लेने से कर रहे मना ।शहर में भिखारियों का स्तर भी बढ़ गया है। अब भिखारी भिक्षा मांगने के दौरान एक व दो रुपए के सिक्के नहीं बल्कि पांच य दस या इससे अधिक रुपए का नोट ही मांगते है। यदि कोई भिखारियों पर दया करके एक व दो रुपए के सिक्के देता भी है। तो भिखारी उसे वहीं टोक देता है और सिक्के लेने से मना कर देता है। यँहा तक कि देने वाले लोगो के खिलाफ अपशब्द का भी प्रयोग कर देते है ।गुमटी ठेले वाले भी नहीं ले रहे छोटे सिक्केएक व दो रुपए के सिक्के देकर सामान लेना अब आसान नहीं रह गया है। दस रुपए से कम के सिक्के लेने में दुकानदार आनाकानी करते हैं। गुुमटी ठेले वाले भी सामान खरीदने पर छोटे सिक्के नहीं ले रहे हैं। अधिक सामान लेने पर भी बड़े दुकानदारों द्वारा छोटे सिक्के थमा दिए जाते हैं, लेकिन जब सामान के बदले उन्हें सिक्के दिए जाते हैं तो वह सामान देने से साफ मना कर देते हैं।सुशील श्रीवास्तव ने बतायाछोटे सिक्के की समस्या जिला में अधिक बढ़ गई है। सिक्के लेकर जब बाजार में सामान खरीदने जाते हैं, तो दुकानदार छोटे सिक्के नहीं चलने की बात कर सामान देने से मना कर देते हैं। दस रुपए या इससे अधिक का नोट देने के बाद भी दुकानदार सामान देने को राजी होते हैं।संदीप रिछारिया ने बताया कि शहर में एक व दो रुपए के सिक्के छोटे दुकानदार से लेकर बड़े दुकानदार तक सिक्के लेने से मना कर दिए है । ऑटो चालक भी सवारियों से छोटे सिक्के लेने से मना कर रहे हैं। ऑटो चालक दस रुपए का नोट या सिक्के तो लेते हैं, लेकिन एक व दो रुपए के नोट नहीं लेते हैं। अगर मंदिर में दर्शन के लिए चाहते हैं और वह अपनी स्वेच्छा से एक या दो रुपए के सिक्के दान पेटी का में डालते हैं। तो अब पुजारी भी उन्हें एक या दो रुपए के सिक्के डालने से मना कर रहे हैं। ऐसे में लोगों को एक व दो रुपए के सिक्के लोगों के लिए मुसीबत बनते जा रहे हैं। वही अधिकारी इस मामले को लेकर अनजान बने हुए हैं।

सुभाष पटेल ब्यूरो चीफ भारत विमर्श चित्रकूट

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