ओबीसी आरक्षण को लेकर आरोप-प्रत्यारोप में उलझी कांग्रेस -भाजपा, आम आदमी बेजार
1 min readसतना- प्रेस कॉन्फ्रेंस कर दोनों दलों ने एक दूसरे को कोसा, यह भी कहा हम 27 प्रतिशत से ज्यादा देंगे आरक्षण
सतना। निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण खत्म किए जाने के कोर्ट के आदेश के बाद शुक्रवार को यहां के सर्किट हाउस में कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इस दौरान दोनों दलों ने एक दूसरे की नियत पर सवाल उठाते हुए आरोप प्रत्यारोप लगाया। एक और जहां कांग्रेसी ने कहा कि भाजपा ओबीसी की हिमायती नहीं है वहीं दूसरी ओर भारतीय जनता पार्टी ने ओबीसी को मिलने वाले आरक्षण व्यवस्था का विरोधी बताया। दोनों दलों ने यह दावा किया कि वे चुनाव में 27 प्रतिशत से ज्यादा ओबीसी आरक्षण मुहैया कराएंगे। दोनों दलों ने यह भी कहा कि जनता ओबीसी आरक्षण की खिलाफत करने वालों को जवाब देगी।
सांसद गणेश सिंह ने कहा कि भाजपा शीघ्र चुनाव कराना चाहती है तथा इसके लिये पहले भी कई बार प्रयास किये गये हैं। भाजपा यह भी चाहती है कि चुनाव पिछड़ेवर्ग के आरक्षण के साथ हो। शीघ्र चुनाव कराये जाने एवं अन्य पिछड़ावर्ग आरक्षण के साथ कराये जाने पुरजोर प्रयास भाजपा सरकार द्वारा किया जा रहा है। भाजपा नेताओं ने कहा कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जो स्वयं अन्य पिछड़ावर्ग से आते हैं, उन्होंने तत्काल दिल्ली जाकर उच्चतम न्यायालय की उपरोक्त निर्णय में संशोधन किये जाने का आवेदन लगाये जाने के लिये सालिशीटर जनरल से चर्चा की तथा निर्णय को संशोधित कराये जाने का प्रयास किया जा रहा है। आदेश में संशोधन की आवश्यकता इसलिये भी है
कि क्योंकि वर्ष 2022 में नया परिसीमन त्रिस्तरीय पंचायतों का किया गया है तथा वर्ष 2019 से 2022 के मध्य 35 नये नगरीय निकाय गठित हुये हैं। इन नगरीय निकायों में ग्रामीण क्षेत्र से 128 ग्राम पंचायतें तथा उनके 295 ग्राम नगरीय निकायों में चले गये हैं। जबकि उच्चतम न्यायालय के
आदेश में वर्ष 2019 में त्रिस्तरीय पंचायतों के परिसीमन के आधार पर चुनाव कराये जाने के निर्देश दिये गये हैं। जिससे कई विसंगतियां उत्पन्न होंगी।
अत: चुनाव नये परिसीमन के अनुसार कराये जाना आवश्यक है। भाजपा नेताओं ने मांग उठाई कि कांग्रेस सरकार द्वारा पूर्व में किये गये त्रुटिपूर्ण
परिसीमन को निरस्त करते हुये यथास्थिति बनाई। यह कांग्रेस का वह असली ओबीसी विरोधी चेहरा है जो म.प्र. विधानसभा के दस्तावेजों में सदैव के लिये साक्ष्य बन गया है। यह सर्वमान्य तथ्य है कि कमलनाथ ने अपनी सरकार के रहते पिछड़ावर्ग के
अभयर्थियों को 27 प्रतिशत आरक्षण का लाभ नहीं मिलने दिया। जबकि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने एक महीने के भीतर ही यह संभव कर दिखाया था। केन्द्र राज्य की भाजपा सरकार ओबीसी आरक्षण के लिये प्रतिबद्ध है। ओबीसी की केन्द्रीय सूची का दर्जा बढ़ा कर उसे संवैधानिक दर्जा प्रदान किया गया है।
आहेस लारिया ब्यूरोचीफ भारत विमर्श सतना म०प्र०