किसान की बेटी ने तलवार बाजी में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जिले का नाम किया रोशन।
1 min readपन्ना- जिले में प्रतिभाओं की कमी नहीं है लेकिन उन को प्रोत्साहन एवं सहयोग ना मिलने की वजह से आज कई प्रतिभाएं आगे नहीं बढ़ पा रही हैं लेकिन इन सबके बावजूद जिले के एक छोटे से ग्राम निवारी के किसान की बेटी ने अभावों के बीच संघर्ष करते हुए तलवारबाजी में राष्ट्रीय स्तर पर लगभग 11 मेडल एवं हाल ही में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जिले एवं देश का परचम लहराते हुए अंतरराष्ट्रीय एशियन जूनियर कैडेट फेंसिंग चैंपियनशिप में सिल्वर मेडल प्राप्त कर जिले का नाम रोशन किया है। बतादें कि इसका आयोजन उज्जबेकिस्तान में हुआ था अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर देखिए किसान की बेटी प्रज्ञा की उड़ान,
जिले के छोटे से गांव निवारी में रहने वाले किसान नरेंद्र सिंह चौहान की बेटी 18 वर्षीय प्रज्ञा सिंह चौहान जो कि एक साधारण कृषक की बेटी हैं परिवार का जीवन भी बड़ा संघर्षशील रहा प्रज्ञा की दो और बहने हैं प्रज्ञा के दादा ने बेटियों को आगे बढ़ाने के लिए अपनी जमीन बेचकर उनकी पढ़ाई लिखाई करवाई इसके साथ ही प्रज्ञा ने तलवारबाजी पकड़ी और ट्रेनिंग शुरू कर दी धीरे-धीरे रुझान बढ़ता गया और वर्ष 2016 में रियो ओलंपिक के विनर को टीवी में तिरंगा झंडा ओढ़े हुए अपना इंटरव्यू देते हुए सुना जिसके बाद प्रज्ञा के मन में भी उनके जैसा बनने का विचार आया ग्वालियर में खेल एकेडमी में पुरस्कार वितरण समारोह में खेल मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया के एक बयान कि सोच बड़ी रखो और खुद पर काम करो आप भी देश के लिए रोल मॉडल बन सकते हो को सुनने के बाद उससे सीख ली और प्रज्ञा ने अपने गेम पर पूरा ध्यान दिया और खूब मेहनत की लेकिन फिर भी वह हार जाती थी बावजूद इसके प्रज्ञा लगातार संघर्ष करती रही और सब कुछ छोड़कर केवल ट्रेनिंग पर ध्यान देती रही इन सबके बीच प्रज्ञा की मां की मृत्यु भी हो गई जिसके बाद प्रज्ञा को लग रहा था कि शायद अब वह वापस खेल की ओर नहीं जा पाएगी लेकिन दादा और पापा के समझाने पर उसने भोपाल में आकर खूब मेहनत की और राष्ट्रीय प्रतियोगिता में पदक अर्जित किए प्रज्ञा बताती हैं कि राष्ट्रीय स्तर पर वह 11 पदक अर्जित कर चुकी है जिसका श्रेय वह मध्य प्रदेश राज्य खेल अकादमी और अपने कोच भूपेंद्र सिंह को देती हैं इन्हीं सबके सहयोग और प्रेरणा की वजह से प्रज्ञा ने जूनियर एशियन प्रतियोगिता में पदक अर्जित किया है प्रज्ञा का सपना है कि वह आगे भी देश के लिए पदक अर्जित करें और ओलंपिक तक पहुंचे।
संदीप विश्वकर्मा ब्यूरोचीफ भारत विमर्श पन्ना म०प्र०