27 सितम्बर भारत बंद, देश को बचाने का जनप्रतिरोध है
1 min readसतना- “देश की चुनौतियां-हमारी जिम्मेदारियां” विषय पर कर्मचारी अधिकारी मोर्चा, ट्रेड यूनियन मोर्चा और किसान मोर्चे ने संयुक्त रूप से एक सेमीनार का आयोजन किया। इस सेमीनार में चौतरफा संकट और उसके विरुद्ध उभरते हुए प्रतिरोध का जायजा तथा 27 सितम्बर के “भारत बंद” का सन्देश जन जन तक पहुंचाने का संकल्प लिया।
सेमीनार की अध्यक्षता जीवन बीमा कर्मियों के वरिष्ठ नेता टी पी पाण्डेय ने तथा संचालन टीयूसी के संजय सिंह तोमर ने किया।
सम्मेलन के मुख्य वक्ता देश भर में जारी किसान आंदोलन के प्रमुख घटक संगठन अखिल भारतीय किसान सभा के संयुक्त सचिव बादल सरोज थे।
चुनौतियों के सात प्रमुख आयामों को रखते हुए बादल सरोज ने कहा कि सब कुछ बेच डालने की हवस देश की तीन पीढ़ियों के श्रम और योगदान से अर्जित राष्ट्रीय सम्पदा का ध्वंस है, देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ तोड़ने जैसा है। इसी के साथ संविधान तथा लोकतंत्र को निशाना बनाकर उन्हें खोखला किया जा रहा है। ऐसा नेतृत्व सरकार में है जो कॉरपोरेट मुनाफे के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार है – भले उसके चलते बेरोजगारी और महँगाई कितनी भी क्यों न बढ़ जाए। दुर्भाग्य यह है कि ऐसे लोग सरकार में हैं जो जानते कुछ नहीं हैं मानते किसी की नहीं है। नोटबंदी और जीएसटी जैसी तुगलकी नीतियों से देश के बाजार की कमर तोड़कर रख दी है।
उन्होंने कहा कि अपनी करनी को छुपाने के लिए यही लोग इस देश के सारे वैज्ञानिक विकास, मानवीय चेतना को कुंद कर देना चाहते हैं। अंधविश्वास और कूढ़मगजी फैलाना चाहते हैं। जनता के बीच विभाजन की दीवारें खड़ी करना चाहते हैं। इन्हे न भारत के इतिहास का पता है ना ही इनका अंग्रेजों की गुलामी से मुक्ति के लिए हुए महान संग्राम के साथ ही कोई रिश्ता है। सिर्फ झूठ, झूठ और झूठ इनका आजमाया तरीका है जिसके जरिये ये भय पैदा कर अम्बानी और अडानी के हवाले देश कर देना चाहते हैं। मगर देश की जनता इस सबके विरुद्ध लड़ रही है ; किसान तीन कृषि कानूनों, मजदूर चार लेबर कोड और जनता महंगाई बेरोजगारी जैसे मुद्दों पर मैदान में हैं। यह लड़ाई देश बचाने की है। इसका अगला चरण 27 सितम्बर के भारत बंद के रूप में होगा।
आहेश लारिया ब्यूरोचीफ भारत विमर्श सतना म०प्र०