भरत चरित्र विषय पर सुनाई दिब्य रामकथा
चित्रकूट मप्र। भगवान कामदगिरी की तहलटी मे आयोजित श्रीराम कथा के सातवें दिवस पर उपस्थित अपार जनसमूह को भरत चरित्र की कथा सुनाते हुए जगदगुरु रामभद्राचार्य ने कहा कि भगवान भरत जैसा इस संसार में कोई भाई नहीं है। अयोध्या के राजा भरत की चर्चा है।
”प्रणवऊ प्रथम भरत के चरना , जासु निम ब्रत जायहि बरना”।।
यहां पर शकुंतला के भरत नहीं है। मैं भरत शब्द की विस्तृत वर्णन करता हूँ की भरत पहले ‘भ’ का अर्थ भक्ति दुसरे ‘र’ का अर्थ रस और तीसरे ‘त’ का अर्थ तत्व जहां पर भक्ति रूपी गंगा जी प्रेम रस रूपी संगम स्थल है उसे मूर्ति मान को प्रयाग कहते हैं। इसलिए भरत को प्रयाग कहा गया है।
रामचरितमानस के अयोध्या कांड में 222 वे दोहै की पंक्ति में यह है कि —
”भरत दरस देखत खुलेऊ , मग लोगन कर भाग। जिमि सिंघल बासनि भयऊ , विधि बसु सुलभ प्रयास”।।
मंच संचालन युवराज आचार्य रामचंद्र दास ने परम पूज्य जगदगुरु जी की विरदावली का वाचन किया और संतो ,महंतों, आंमत्रित अतिथियों का स्वागत किया। कथा के मुख्य यजमान नीलेश मोहता धर्म पत्नी श्रीमती प्रीति मोहता और सपरिवार , कुलपति प्रो0 योगेश चंद्र दुबे, आर0 पी0 मिश्रा , डा.महेंद्र कुमार उपाध्याय, डा.सचिन उपाध्याय, डा.मनोज पांडेय , हिमांशु त्रिपाठी, विधालय की प्राचार्या सुश्री निर्मला वैष्णव , महेंद्र कुमार तिवारी, गंगा पांडेय, रामसेवक राय , के के त्रिपाठी, विजय श्रीवास्तव, विनोद चौबे, त्रिभुवन यादव, महिमा पांडेय, विश्वविद्यालय परिवार , तुलसीपीठ व राघव परिवार के भक्त गणों मे क्षानेद्र शर्मा और कामता से क्षेत्रीय नेता राजेंद्र त्रिपाठी चाचा, दिनेश दिवेदी छोटे नेता , सहित हजारों लोगों ने कथा श्रवण किया।
जावेद मोहम्मद(विशेष संवाददाता), भारत विमर्श चित्रकूट मप्र.



