December 13, 2025

कामदगिरी भे रामप्रसादा, अवलोकत अपहरत विशादा।।

चित्रकूट। भगवान कामदगिरी की तहलटी मे आयोजित श्रीराम कथा के पंचम दिवस पर उपस्थित अपार जनसमूह को कथा सुनाते हुए जगदगुरु रामभद्राचार्य जी ने कहा कि पहले इसका नाम चित्रकूट था फिर कामदगिरी बन गया वर्तमान में कामतानाथ हो गया है जो विभिन्न नामों से बनता चला गया। रामचरितमानस के अयोध्या कांड में 242वें दोहे की 8वीं पंक्ति ”यहि निपहि नीच कोई नाही, वर वशिष्ठ सम कोई जग माही”।। में कहा गया है कि भारत वर्ष में वशिष्ठ जी जैसा कोई ब्राह्मण नहीं है। मध्यप्रदेश भारत का हृदय भाग हैं। बुंदेलखंड की धरा ने अनेक रत्न को जन्म दिया है जहां पर महान वीरांगना लक्ष्मी बाई का नाम बडे ही गौरव के साथ लिया जाता है।

आयोजित कार्यक्रम के प्रारंभ में जगदगुरु जी के उत्तराधिकारी आचार्य रामचंद्र दास ने परम पूज्य गुरुदेव की विरदावली का वाचन किया और चित्रकूट क्षेत्र के संतो ,महंतों, अतिथियों का हार्दिक आभार प्रकट किया। मुख्य यजमान नीलेश मोहता धर्म पत्नी श्रीमती प्रीति मोहता और सपरिवार , वित्त अधिकारी आर0 पी0 मिश्रा , सुरक्षा अधिकारी डा0 मनोज पांडेय, पीआरओ एस0 पी0 मिश्रा , विधालय की प्राचार्या सुश्री निर्मला वैष्णव , विश्वविद्यालय परिवार ,राघव परिवार में राजीव नयन लूथरा दिल्ली , क्षानैद्र शर्मा , बासुदेव अग्रवाल , नन्द किशोर पांडेय , लालजी त्रिपाठी , प्रेम शंकर पांडेय, राजेंद्र त्रिपाठी छोटे नेता कामतानाथ सहित कथा पंडाल श्रोताओं से भरा रहा।

जावेद मोहम्मद(विशेष सवांददाता), भारत विमर्श चित्रकूट मप्र.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *