April 28, 2024

कांग्रेसी नेता सज्जन कुमार ’84 सिख दंगे’ में दोषी करार हुए, उम्रकैद की सजा मिली

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नई दिल्ली : दिल्ली हाई कोर्ट ने कांग्रेसी नेता सज्जन कुमार को 1984 सिख दंगे में दोषी पाते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई है। जस्टिस एस मुरलीधर और विनोद गोयल ने दिल्ली कैंट के मामले में निचली अदालत का फैसला पलटते हुए कांग्रेस नेता सज्जन कुमार को दंगे का साजिश रचने, भड़काउ भाषण देने, दंगा भड़काने एवं हत्या के मामले में दोषी करार दिया है। कोर्ट ने सज्जन कुमार पर उम्रकैद के साथ पांच लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। हाईकोर्ट ने नेवी के रिटायर्ड अधिकारी कैप्टन भागमल, गिरधारी लाल और पूर्व कांग्रेस पार्षद बलवान खोखर को भी उम्रकैद को सजा सुनाई है। सज्जन कुमार को 31 दिसंबर तक कोर्ट में सरेंडर करने का आदेश दिया गया है।

हमारी लड़ाई जारी रहेगी -मनजिंदर सिंह

कोर्ट में 1984 सिख विरोधी दंगे में पीड़ित की ओर से वकालत करने वाले एच एस फुल्के फैसला सुनते ही रोने लगे। उनके साथ अन्य लोगों के आंखों से भी आंसू फूट पड़े। शिरोमणि अकाली दल के नेता मनजिंदर सिंह ने फैसले के बाद कहा कि, हम अदालत का शुक्रिया अदा करते हैं, जब तक सज्जन कुमार और जगदीश टाइटलर को फांसी की सजा नहीं सुनाई जाती। गांधी परिवार को भी अदालत में घसीटकर नहीं लाया जाता और उन्हें भी जेल में नहीं डाला जाता, हमारी लड़ाई जारी रहेगी।’

दिल्ली कैंट हिंसा का है मामला

दिल्ली कैंट मामले में पांच लोगों की हत्या का मामला था। 1 नवंबर 1984 को हजारां लोगों की भीड़ ने दिल्ली कैंट के राजपुर इलाके में घुसकर एक परिवार के तीन लोगों नरेंद्र पाल सिंह, कुलदीप सिंह और राघवेंद्र सिंह की हत्या कर दी थी, वहीं दूसरे परिवार के गुरप्रीत सिंह और उनके बेटे केहर सिंह की हत्या की गई थी।

1984 सिख विरोधी दंगे

1984 में सिख विरोधी दंगे 31 अक्टूबर 1984 को पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की उनके दो सिख बॉडीगार्ड द्वारा हत्या कर देने के बाद फैले थे। इंदि गांधी की मौत के बाद दिल्ली में सिख समुदाय पर घातक हमले हुए। दो दिनों तक सिखों को मारा गया, उनके घर जला दिये गए। औरतों, बच्चों को भी दंगें में नहीं बख्शा गया। दंगों में पुलिस पूरी तरह खामोश रही। दो दिनों तक दिल्ली में कत्लेआम जारी रहा। दिल्ली की सड़के सिखों के कत्ल से लाल हो उठी थी। दंगे के अगले दिन ही राजीव गांधी ने प्रधानमंत्री पद की शपथ ली थी। सरकारी बहीखातों के अनुसार सिख विरोधी दंगों में 3,000 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी।

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