पाथर कछार का अद्भुत काली माता मंदिर, जहां पूरी होती हैं भक्तों की मनोकामनाएं – नवरात्रि पर उमड़ता है जनसैलाब
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चित्रकूट – आस्था और श्रद्धा का अद्भुत केंद्र पाथर कछार स्थित काली माता मंदिर नवरात्रि के पावन दिनों में भक्ति और उत्साह का अनोखा संगम प्रस्तुत करता है। मान्यता है कि यहां सच्चे मन से की गई प्रार्थना और मांगी गई मनोकामनाएं अवश्य पूर्ण होती हैं। यही कारण है कि नवरात्रि में यहां श्रद्धालुओं का जनसैलाब उमड़ पड़ता है।
सुबह से देर रात तक मंदिर परिसर “जय माता दी” और “कालिका माता की जय” के जयकारों से गूंजता रहता है। भक्तजन चुनरी, नारियल, दीपक और धूप-अगरबत्ती अर्पित कर माता से शक्ति और सुख-समृद्धि की कामना करते हैं। स्थानीय लोगों के अनुसार यह मंदिर सैकड़ों वर्ष पुराना है और यहां मां काली का स्वरूप स्वयंभू माना जाता है। मान्यता है कि संकट के समय यहां आकर साधना या पूजा करने से हर समस्या का निवारण होता है। शादी, संतान प्राप्ति और अन्य पारिवारिक सुखों के लिए लोग दूर-दूर से यहां दर्शन करने पहुंचते हैं।
तो वहीं नवरात्रि के नौ दिनों में यहां भव्य आरती, अखंड ज्योति, भजन-कीर्तन और देवी जागरण का आयोजन होता है। भक्त उपवास रखकर मां काली की पूजा करते हैं और मंदिर परिसर में मेले जैसा दृश्य देखने को मिलता है।
पाथर कछार का काली माता मंदिर केवल एक धार्मिक स्थल ही नहीं, बल्कि आस्था, विश्वास और आध्यात्मिक ऊर्जा का अद्भुत संगम है, जहां हर भक्त को शांति, शक्ति और सकारात्मकता का अनुभव होता है।
बताया जाता है कि इसका निर्माण 16 वीं सदी के आसपास सैनी परिवार और स्थानीय लोगों ने किया था, मंदिर का निर्माण एक स्थानीय राजा ज्वाला सिंह से जुडी हुई कहानी बताई गई और आज भी महलों के कुछ अवशेष देखे जा सकते हैं, यह कहा जाता है कि भक्त स्नान के बाद काली माता की पूजा करते थे, वर्तमान में, श्री कालका सैनी के वंशज, श्री दिनेश कुमार सैनी मंदिर की पूजा-अर्चना संभालते हैं. मंदिर के ठीक सामने एक बड़ा तालाब है। जहां राजा, रानी एवं दो बच्चों की समाधि स्थापित है ऐसा स्थानीय लोगों का कहना है।




जावेद मोहम्मद विशेष संवाददाता भारत विमर्श चित्रकूट मध्य प्रदेश
