चित्रकूट की पवित्र नदी मंदाकिनी को खत्म करने की क्या जल संसाधन विभाग ने ले ली है जिम्मेदारी
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चित्रकूट – क्या चित्रकूट में विकास के नाम पर यहां की बर्बादी का प्रोग्राम बनाया गया है।हाल फिलहाल किए जा रहे विकास कार्यों को देखकर कुछ ऐसा ही लग रहा है।जल संसाधन विभाग द्वारा 38 करोड़ रुपए की लागत से मंदाकिनी नदी में आरोग्यधाम से लेकर स्फटिक शिला तक मिट्टी का कटाव रोकने के लिए गैब्रियन स्ट्रक्चर के तहत कार्य कराया जाना था।लेकिन जल संसाधन विभाग द्वारा पवित्र नदी मंदाकिनी को खत्म करने या फिर यूं कहा जाए कि नदी को मारने का प्रोग्राम बनाकर काम कराया जा रहा है।और नदी की सतह और किनारों को ही सीमेंट कंक्रीट से पाट कर नदी को नाले का स्वरूप दे दिया गया है।तीन पवित्र नदियों सरयू,पयश्वनी और मंदाकिनी वाले चित्रकूट में सरयू और पयस्वनी जहां पहले से ही विलुप्त हो चुकी हैं।तो अब मंदाकिनी को भी खत्म करने का प्रयास पूरे जोर शोर से जारी है।इस पूरे मामले में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल का कहीं कोई रता पता दिखाई नहीं दे रहा है।

जावेद मोहम्मद विशेष संवाददाता भारत विमर्श चित्रकूट मध्य प्रदेश