हाथरस सत्संग में 121 मौतें और गुनहगार बाबा फरार
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हाथरस – उत्तर प्रदेश के हाथरस में मंगलवार को सत्संग के दौरान भगदड़ मचने से लाशों का ढेर लग गया है. अब तक 121 लोगों की जान चली गई है. यह आंकड़ा बढ़ सकता है. सरकारी अस्पताल के अंदर बर्फ की सिल्लियों पर सैकड़ा भर शव पड़े हुए हैं, पोस्टमॉर्टम के बाद इन शवों को परिजनों को सौंपा जा रहा है. उसके बाद अंतिम संस्कार होगा. हादसे के बाद सुख के सपने दिखाने वाला बाबा फरार है. 24 घंटे बाद भी पुलिस उस तक नहीं पहुंच सकी है।
यूपी के हाथरस में भगदड़ मची और 121 लोगों की मौत हो गई. सवाल उठ रहा है कि इस हादसे का गुनहगार कौन है? सत्संग के आयोजक से लेकर प्रशासन तक कठघरे में खड़ा है. 24 घंटे बाद भी घटना के गुनहगार फरार हैं. खुद बाबा नारायण साकार हरि उर्फ भोले बाबा लापता है. उसके बारे में किसी को कोई खबर नहीं है. मुख्य सेवादार और आयोजन समिति का प्रभारी देव प्रकाश का मधुकर भी अब तक पुलिस के हाथ नहीं आया है. पुलिस एफआईआर में देव प्रकाश को मुख्य आरोपी बनाया गया है।
घटना सिकंदराराऊ क्षेत्र के फुलराई गांव की है. यहां मानव मंगल मिलन सद्भावना समिति ने 150 बीघा के खुले मैदान (खेत) में सत्संग आयोजित किया था. पुलिस एफआईआर के अनुसार, 80 हजार लोगों के कार्यक्रम में शामिल होने की अनुमति ली गई और तीन गुना ज्यादा यानी ढाई लाख लोगों की भीड़ जुटा ली गई. व्यवस्थाएं भी खुद बाबा के सेवादार और आयोजन समिति से जुड़े लोग संभाले हैं. पुलिस के सिर्फ 40 जवान मौके पर थे. जो लोग मारे गए हैं, वे धार्मिक उपदेशक भोले बाबा के ‘सत्संग’ में शामिल होने पहुंचे थे. फिलहाल, सरकारी अस्पताल के अंदर बर्फ की सिल्लियों पर शव पड़े हुए हैं. पीड़ितों के रिश्तेदार रोते-बिलखते देखे जा रहे हैं. ये लोग शवों को घर वापस ले जाने के लिए अस्पताल के बाहर इंतजार कर रहे हैं।
FIR में बाबा को आरोपी नहीं बनाया गया है. मुख्य आरोपी आयोजक और सेवादार देवप्रकाश मधुकर है..दूसरे नंबर पर अन्य आयोजक और अन्य सेवादार आरोपी हैं. किसी का नाम नहीं है. देवप्रकाश सिकंदराराऊ का रहने वाला है. आरोपियों के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 105, 110, 126 (2), 223, 238 के तहत एफआईआर दर्ज की गई है. सवाल है कि इस हादसे के लिए कौन जिम्मेदार है? कैसे 80 हजार की इजाजत में 2.5 लाख लोग आ गए? क्या प्रशासन को इसकी भनक नहीं थी. क्या ऐसे हादसे का इंतजार किया जा रहा था।
बाबा नारायण साकार हरि आखिर कहां हैं ?
मंगलवार को भगदड़ के बाद से कहा जा रहा है कि बाबा भूमिगत हैं. यानी वो कहां हैं, इसके बारे में पुलिस को कुछ नहीं पता है. मैनपुरी में ‘राम कुटीर चैरिटेबल ट्रस्ट’ आश्रम में पुलिस ने तलाशी अभियान चलाया है. वहां जांच जारी है. मंगलवार रात पुलिस मैनपुरी आश्रम पर नारायण साकार हरि की तलाश में पहुंची थी, लेकिन डीएसपी सुनील कुमार सिंह के मुताबिक, वहां बाबा नहीं मिले, DSP सुनील कुमार सिंह कहते हैं कि हमें परिसर के अंदर बाबा नहीं मिले. वे यहां नहीं हैं. बाबा का मैनपुरी के बिछवा में ये आश्रम 30 एकड़ में फैला हुआ है. नारायण साकार हरि यहां साप्ताहिक सभाएं आयोजित करते हैं, जिसमें काफी भीड़ उमड़ती है।
बाबा एटा जिले के बहादुरनगर गांव के रहने वाले हैं. बाबा का असली नाम सूरजपाल है. पहले पुलिस की नौकरी की. लेकिन जब मन नहीं लगा तो नौकरी छोड़ दी और सत्संग करने लगे. बाबा का एक आश्रम बहादुर नगर में भी है और यहां प्रतिदिन हजारों भक्त पहुंचते हैं. उत्तर प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा और मध्य प्रदेश में भी बाबा के बड़ी संख्या में अनुयायी हैं. बाबा और उनके अनुयायी सोशल मीडिया से दूरी बनाकर चलते हैं. बाबा नारायण साकार हरि का आज आगरा में भी सत्संग होना था. नारायण साकार के कासगंज के पास घर है. घटना के एक चश्मदीद का बयान आया है. उसने बताया कि भगदड़ के बाद से कई लोग गायब हैं. प्रशासन को इसकी जानकारी नहीं है.
मंगलवार को जब घटना हुई, तब कमेटी में शामिल सभी 17 लोग मौके पर मौजूद थे. कमेटी के सदस्य मेघ सिंह ने भी इसकी पुष्टि की है. इसके अलावा ड्यूटी शीट से पता चलता है कि कमेटी के सदस्यों को भीड़ मैनेजमेंट से लेकर जल सेवा, पार्किंग ड्यूटी आदि तक सौंपी गई थीं. सरकार ने जो जांच कमेटी गठित की है, उसमें एडीजी आगरा जोन, कमिश्नर अलीगढ़ हैं. दोनों अफसरों ने मौके पर पहुंचकर वीडियो फुटेज जुटाए हैं और लोगों से भी घटना के संबंध में जानकारी ली है.
हादसा का कारण
शुरुआती जांच में सामने आया कि बाबा के चरणों की धूल के लिए श्रद्धालु उमड़े पड़े और गहरे गड्ढे में एक के ऊपर एक गिरते चले गए. गर्मी-उमस और संकरे रास्ते में कई बेहोश हो गए. चीख-पुकार मच गई. जिन लोगों ने भागने की कोशिश की, वो खेत के गड्ढे में गिर कर दबते चले गए. मृतकों में ज्यादातर महिलाएं और बच्चे हैं. एफआईआर में कहा गया कि आयोजन कमेटी ने लाखों की भीड़ की स्थिति को छिपाया है. आयोजन कमेटी ने अनुमति की शर्तों का पालन नहीं किया है, जिसके कारण जीटी रोड पर ट्रैफिक अवरुद्ध हो गया. ड्यूटी पर तैनात पुलिस-प्रशासनिक अधिकारी व्यवस्थाएं सामान्य करने में जुटे थे, तभी कार्यक्रम के उपरांत दोपहर करीब दो बजे मुख्य प्रवचनकर्ता सूरजपाल उर्फ भोले बाबा अपनी गाड़ी में सवार होकर निकले. इस बीच, श्रद्धालुजन (महिला, पुरुष और बच्चे) पीछे से दौड़ने लगे और बाबा की गाड़ी के गुजरने के मार्ग से धूल समेटना (चरण रज) शुरू कर दिया. श्रद्धालुओं की बेतहाशा भीड़ के दबाव के कारण नीचे बैठे, झुके श्रद्धालु कुचलने लगे. चीखपुकार मच गई. जीटी रोड के दूसरी ओर लगभग तीन मीटर गहरे खेतों में भरे पानी और कीचड़ में भीड़ में शामिल लोग गिरने और कुचलने लगे. आयोजन समिति और सेवादारों द्वारा अपने हाथों में लिए डंडे से जबरदस्ती भीड़ को रोक दिया, जिसके कारण लाखों की भीड़ का दबाव बढ़ता गया और महिला, पुरुष और बच्चे दबते कुचलते चले गए।
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