सिद्ध संत की हुई समाधि
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चित्रकूट – 111 साल के संत रामशंभू दास जी नागा छाता वाले महराज का रात में बीमारी के चलते गोलोक गमन हो गया
उनके स्थानीय भक्तो में शोक की लहर दौड़ गयी।
बाबाघाट हनुमान धारा मार्ग स्थित उनकी कुटिया के पीछे ही उन्हें भू समाधि दे दी गयी।
महाराज बारहों महीने रात दिन छाता हाथ में लेकर ही चलते थे।इस कारण उन्हे लोग छाता वाले महाराज के नाम से जानते थे। उनकी कुटिया के बगले में रहने वाले चांद मास्टर हारमोनियम वादक ही उनकी पूरी सेवा करते थे अंत में भी पूरे कार्य भी किए। स्थानीय लोग वहा पहुंच कर महाराज के दर्शन किए यद्यपि कोई महंत आदि नजर नहीं आए ।उनके पास कोई बड़ी जायदाद नही थी सिर्फ एक कमरा था।अंतिम समय तक चाँद मास्टर ने महराज जी की सेवा पिता की तरह की। जिसमे महाराज निवास करते थे महाराज जी के शिष्यों में रोहित नरायन द्ववेदी, बाल गोविंद केशरवानी,मनोज तिवारी के अलावा कौशाम्बी से आये शिष्योंऔर मुहल्ले के लोगों ने महाराज जी को अंतिम विदाई दी। पूजन कार्य भूरेलाल आचार्य ने करवाया।
जावेद मोहम्मद विशेष संवाददाता भारत विमर्श चित्रकूट मध्य प्रदेश