Agricultural students ने जैविक और प्राकृतिक खेती को व्योहारिक रूप से जाना और समझा
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चित्रकूट – महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय के कृषि संकाय अंतर्गत संचालित बीएससी (कृषि) आनर्स. पाठ्यक्रम के अंतिम सत्र के विद्यार्थियों द्वारा रावे कार्यक्रम अंतर्गत होने वाले वाणिज्यिक सब्जी उत्पादन पाठ्यक्रम के तहत विभाग द्वारा प्रदत्त एक निश्चित भू-भाग में जैविक एवं प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से खेत की तैयारी से लेकर फसल तैयार होने तक के संबंधित कार्य पूर्णतः जैविक तरीके से किए गए , जिसमें किसी प्रकार के कीटनाशी, शाकनाशी का प्रयोग वर्जित रहा।
इसमें विभिन्न प्रकार की ग्रीष्मकालीन सब्जियों का उत्पादन किया जा रहा है, जो ज्यादातर कुकुर्बिटेसी (कद्दू वर्गीय )सब्जी परिवार से संबंधित हैं और अन्य जैसे लाल भिंडी (काशी लालिमा), जो आईसीएआर-आईआईवीआर- भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान, वाराणसी यूपी द्वारा विकसित की गई हैं। इस प्रजाति की उपज अच्छी है। और इस क्षेत्र के लिए सकारात्मक प्रतिक्रिया दे रहीं है।
कुलपति प्रो भरत मिश्र ने इन ग्रीष्मकालीन कामर्शियल सब्जियों के प्रक्षेत्र को देखा तथा काशी लालिमा भिंडी की सराहना किया। इस मौके पर कृषि संकाय के अधिष्ठाता डॉ एस पी मिश्र ने जैविक खेती – स्टार्ट अप पर विस्तार पूर्वक जानकारी दी। उन्होंने बताया कि भारत जैविक खाद्य-पदार्थों के सबसे बड़े उत्पादकों में से एक है। कई स्टार्ट अप और एफ पी ओ आर्गेनिक फुड के निर्यात व्यवसाय में स्थापित हो रहें हैं। दुनिया को स्वस्थ, पर्यावरण – अनुकूल जीवन शैली की ओर बढ़ने के साथ भारत में जैविक खाद्य बाजार मजबूती से बढ रहा है। सरकार द्वारा क्रियान्वित स्टार्ट अप प्रोत्साहन योजना अंतर्गत जैविक खेती की समझ और बेहतर प्रंबधन क्षमता के साथ यह एक बेहतर विकल्प बनकर उभर रहा है।आज हमें सब कुछ आर्गेनिक ही चाहिए, जैविक भोजन ,जैविक तेल ,जैविक चिकन ,जैविक त्वचा, जैविक परिधान भी। जैविक व्यवसाय,लघु उद्योग स्थापित करने और जैविक उत्पादों और आदानों की विपणन की योजनाएं व अनुदान के बारे में भी जानकारी दी।

जावेद मोहम्मद विशेष संवाददाता भारत विमर्श चित्रकूट मध्य प्रदेश