निशा बागरे की गिरफ्तारी के दौरान फटे कपड़े
1 min readभोपाल – छतरपुर की डिप्टी कलेक्टर निशा बांगरे अपने इस्तीफा मंजूर करने की मांग को लेकर आमला से भोपाल तक की पैदल न्याय यात्रा लेकर आज भोपाल पहुंची। बोर्ड आफिस चौराहे स्थित बाबा साहब अम्बेडकर की प्रतिमा पर माल्यार्पण करने पहुंची, जिसके बाद पुलिस ने उन्हें यह कहकर गिरफ्तार कर लिया कि बगैर अनुमति के यातायात को बाधित किया। इसी दौरान उनके कपड़े भी फट गए। उनका कहना है कि पुलिस ने उनके साथ अभद्रता की और जानबूझकर मेरे कपड़े फाड़ दिए।
लवकुशनगर (छतरपुर) में पदस्थ रहीं डिप्टी कलेक्टर निशा बांगरे के कपड़े आज भोपाल में प्रदर्शन के दौरान फट गए। वे बैतूल से पदयात्रा करते हुए भोपाल पहुंची हैं। निशा तीन महीने पहले अपने पद से इस्तीफा दे चुकी हैं, लेकिन शासन ने इसे मंजूर नहीं किया है। इससे पहले निशा ने भोपाल के बोर्ड ऑफिस चौराहे पर बाबा साहब भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया। उन्होंने कहा, मुझे सर्वधर्म प्रार्थना करने से रोका गया। मैं सर्व समाज को लेकर चलना चाहती हूं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह कट्टरपंथी विचारधारा के साथ काम कर रहे हैं। कांग्रेस विधायक पीसी शर्मा, भोपाल कांग्रेस के जिला अध्यक्ष मोनू सक्सेना भी इस प्रदर्शन में शामिल हुए। पुलिस ने दोनों को हिरासत में लिया है। सक्सेना ने पुलिस पर निशा बांगरे के कपड़े फाडऩे का आरोप लगाया है। इस दौरान अंबेडकर की फोटो भी फट गई। निशा बांगरे आमला विधानसभा सीट से चुनाव लडऩा चाहती हैं। इसके लिए उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है, लेकिन तीन महीने से अधिक का समय बीत जाने के बाद भी सरकार ने उनका इस्तीफा स्वीकार नहीं किया है। ऐसे में निशा न्याय यात्रा पर निकली हैं। उन्होंने अपनी यात्रा 28 सितंबर को आमला से शुरू की थी। उनकी ये यात्रा बोरी, सारणी, सलैया, शाहपुर, केसला, नर्मदापुरम, सलकनपुर, बुधनी, जैत, शाहगंज ओब्दुल्लाहा गंज और से मंडीदीप होते हुए भोपाल पहुंची। पहली बार है जब कोई शासकीय अधिकारी अपना इस्तीफा स्वीकार करवाने के लिए इस तरह न्याय यात्रा पर निकला है। इधर निशा की यह यात्रा सरकार के लिए भी बड़ी चुनौती बन गई है। बोर्ड आफिस चौराहे पर कांग्रेस के जिला अध्यक्ष प्रदीप मोनू सक्सेना भी अपने साथियों के साथ पहुंचे थे। इसके अलावा दलित समाज और सामाजिक संगठनों ने भी निशा बांगरे को समर्थन दिया है, लेकिन पुलिस द्वारा निशा बांगरे को गिरफ्तार करने का विरोध किया और बोर्ड आफिस चौराहे पर नारेबाजी की और उनकी गिरफ्तारी को तानाशाही बताया।
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