भारत का योगदान विषयक राष्ट्रीय संगोष्ठी का हुआ आयोजन
1 min readचित्रकूट – आज महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय के सीएमसीएलडीपी सभागार में जी-20 के अंतर्गत वैश्विक अर्थव्यवस्था के विकास में भारत का योगदान विषयक राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन हुआ। इस अवसर पर कुलपति प्रोफेसर भरत मिश्रा ने अपने उद्बोधन में कहा कि भारत सोने की चिड़िया के रूप में जाना जाता था। विश्व की अर्थव्यवस्था में भारत कभी भी पीछे नहीं रहा भारत धन-धान्य से संपन्न था। प्रोफेसर मिश्रा ने कहा कि प्राचीन काल से ही भारत राजनैतिक, आर्थिक, शैक्षिक, सामाजिक, धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से विश्व के आकर्षण का केंद्र बिंदु रहा है भारत सोने की चिड़िया के नाम से विख्यात था। धन-धान्य से संपन्न था। देश पर अनेक आक्रमण हुए, विदेशी आक्रांताओ ने न केवल लूटपाट किया अपितु यहां के अर्थ तंत्र को तहस-नहस कर दिया। बाहर से आए आक्रांताओ से भारत निरंतर संघर्ष करता रहा इन आक्रमणों के कारण भारत की अपूरणीय क्षति हुई है। विश्व अर्थव्यवस्था की तथ्यात्मक प्रस्तुति करते हुए कुलपति प्रोफेसर भरत मिश्रा ने कहा कि सन 1757 – 17 58 में ब्रिटेन का विश्व की अर्थव्यवस्था में कुल योगदान 2.8 प्रतिशत था जबकि भारत का लगभग 23 प्रतिशत था। जब अंग्रेजों ने सन 1947 में भारत छोड़ा तब भारत का विश्व अर्थव्यवस्था में कुल योगदान लगभग 2.7 प्रतिशत ही बचा था जबकि इंग्लैंड का 17.4 प्रतिशत विश्व अर्थव्यवस्था में योगदान हो गया था। प्रो मिश्रा ने कहा कि हम स्वाधीन हुए किंतु स्वतंत्र व्यवस्था न होने के कारण विकास, अर्थ सृजन और रोजगार निर्माण की दिशा में देश उस स्थिति में न पहुंच सका, जो अपेक्षित था। उन्होंने कहा कि अप्रैल 1914 में जारी रिपोर्ट में वर्ष 2011 के विश्लेषण में विश्व बैंक में “क्रय शक्ति समानता” (परचेसिंग पावर पैरिटी) के आधार पर भारत को विश्व की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था घोषित किया। बैंक के इंटरनेशनल कंपैरिजन प्रोग्राम ( आईसीपी) के 2011 राउंड में अमेरिका और चीन के बाद भारत को स्थान दिया गया है। 2022 – 23 में भारत की आर्थिक विकास दर 8 से 8 .5 प्रतिशत तक पहुंचने का अनुमान किया गया है।विश्व बैंक, एशियाई विकास बैंक और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के अनुमानों के अनुसार भारत 2021 – 24 के दौरान विश्व की प्रमुख तीव्रगामी अर्थव्यवस्था बना रहेगा। उन्होंने कहा कि भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी बी वोकल – फ़ॉर लोकल का नारा देते हैं। स्थानीय खरीदो, स्वदेशी खरीदो का आवाहन करते हैं। प्रो मिश्रा ने कहा कि श्रेष्ठ भारत का संकल्प तभी पूरा होगा जब भारत स्वावलंबी होगा।
कार्यक्रम का शुभारंभ अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलन एवं मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण और सरस्वती वंदना से हुआ। स्वागत भाषण डॉक्टर कुसुम सिंह और विषय प्रवर्तन प्रोफेसर घनश्याम गुप्ता ने किया।डॉ आंजनेय पांडेय अधिष्ठाता अभियांत्रिकी संकाय, प्रोफेसर अमरजीत सिंह अधिष्ठाता प्रबंधन संकाय, डॉ सीपी गुर्जर विभागाध्यक्ष ग्रामीण विकास व प्रबंधन ने अपने विशेषज्ञ उद्बोधन के माध्यम से वैश्विक अर्थव्यवस्था के विकास में भारत के योगदान को तथ्यों के साथ रेखांकित किया। संचालन डॉक्टर कुसुम सिंह एवं आभार प्रदर्शन डॉ एके अग्रवाल ने किया। कार्यक्रम के संयोजक प्रोफेसर घनश्याम गुप्ता एवं सह संयोजक डॉ कुसुम सिंह रही। इस अवसर पर शिक्षक, अधिकारी, कर्मचारी एवं छात्र छात्राएं मौजूद रहे।
ग्रामोदय विश्वविद्यालय के ललितकला प्राध्यापक डॉ. जयशंकर मिश्र हरिद्वार में हुए सम्मानित
आनंद आर्ट मिशन हरिद्वार द्वारा आयोजित अखिल भारतीय समकालीन प्रदर्शनी के दौरान महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय, चित्रकूट के ललित कला प्राध्यापक डॉ जयशंकर मिश्र को महाकवि कालिदास के ग्रंथ मेघदूत पर आधारित उनकी कृति ‘नायिका’ के लिए सम्मानित किया गया। डॉ मिश्रा को यह सम्मान पद्मश्री डॉक्टर यशोधर मठपाल, देश के लब्ध प्रतिष्ठित कलाकार व कालाविद एवं ओपी शर्मा संस्थापक, निदेशक जम्मू एंड कश्मीर सेंटर फॉर क्रियेटिव आर्ट्स, जम्मू, आयोजक संस्था अध्यक्ष श्रीमती किरण गुप्ता व सचिव राष्ट्रपति पुरस्कृत कला शिक्षक अशोक गुप्ताने संयुक्त रूप से दिया। इस अवसर पर डॉ मिश्रा की धर्म पत्नी श्रीमती चंदना मिश्रा मौजूद रही।
जावेद मोहम्मद विशेष संवाददाता भारत विमर्श चित्रकूट म०प्र०