May 5, 2024

एक ही पौधे में हो रहा टमाटर और बैगन, वैज्ञानिकों ने किया कमाल

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वाराणसी – देश को अब तक 100 से ज्यादा सब्जि‍यों की उन्नत किस्में देने वाला वाराणसी स्थित सब्जी अनुसंधान संस्थान में एक नया शोध काबिले तारीपफ है। भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान ने एक ऐसा प्रयोग किया है कि अब बैगन के तने में टमाटर और बैगन एक साथ उगाई जा रही है। इस तकनीक को भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिक ग्राफ्टिंग विधि बता रहे हैं। इस विधि से तीन प्रकार की खेती शुरू कराई गई है।

7 वर्षों की मेहनत के बाद ब्रिमेटो को तैयार किया
संस्थान के वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक डॉ अनंत बहादुर ने 7 वर्षों की मेहनत के बाद ब्रिमेटो को तैयार किया है। ग्राफ्टिंग तकनीक (कलमी पौधे) से एक साथ दो प्रकार की फसल का उत्पादन हो रहा है। उत्पादन क्षमता भी बेहतर है और बरसात के दिनों में खेतों में पानी भरने के बाद भी फसल नष्ट न होने का दावा वैज्ञानिक कर रहे हैं। उनका मानना है कि सब्जियों की खेती के संदर्भ में यह एक बड़ी सफलता है।
भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान के प्रधान वैज्ञानिक डॉ अनंत बहादुर सिंह ने बताया कि भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान वाराणसी में ग्राफ्टिंग तकनीक पर शोध कार्य वर्ष 2014 में शुरू किया गया। सर्वप्रथम बैगन के मूल वृंत पर टमाटर की उन्नत किस्मों की ग्राफ्टिंग की गई। इसमें टमाटर को बैंगन की जड़ों पर लगाने से तीन-चार दिन तक खेत में पानी भरा रहता है तो भी टमाटर के पौधे सुरक्षित रहते हैं। इस तकनीक का कई वर्षों तक मूल्यांकन करने के बाद किसानों को जानकारी दी जा चुकी है।

जलभराव वाले क्षेत्र में यह तकनीक विशेष कारगर
इस तकनीक से उन किसानों को सबसे ज्यादा लाभ होता है जो टमाटर की अगेती खेती करना चाहते हैं। और जहां जलभराव की समस्या होती है वहां यह तकनीक विशेष कारगर है। इस ग्राफ्टिंग तकनीक से संस्थान के आसपास गांव में किसानों को काफी लाभ हुआ है।

कम खर्च पर ले सकते हैं टमाटर और बैगन दोनों की उपज
इसमें बैगन की जंगली प्रजाति पर बैगन की उन्नत किस्म एवं टमाटर दोनों को ही एक पौधे में लगाया गया। जिससे लगभग 3 किलोग्राम तक बैगन और 2:5 से 3 किलोग्राम टमाटर का उत्पादन हुआ। इस तरह एक ही पौधे में कम खर्च पर हम टमाटर और बैगन दोनों की उपज ले सकते हैं।
संस्थान द्वारा 2018 में पहली बार पोमैटो का खेत में सफल उत्पादन किया गया। पोमैटो जिसमें नीचे आलू और ऊपर टमाटर का उत्पादन होता है। शहरी या टेरेस गार्डन के लिए काफी उपयुक्त है। उन्नत किस्म से उगाए गए एक पौधे (फौज) में लगभग 1.0 से 1.25 किलोग्राम आलू तथा 3.50 से 4 किलोग्राम टमाटर का उत्पादन होता है।

कद्दू वर्गीय सब्जियों में भी किया जा रहा है प्रयोग
डॉ. अनंत बहादुर सिंह ने बताया कि ग्राफ्टिंग तकनीक का प्रयोग पिछले 2 सालों से कद्दू वर्गीय सब्जियों में भी किया जा रहा है और इस तकनीक से काफी सफलता हासिल हुई है। करेला, खीरा, खरबूजा आदि के लिए नेनुआ तथा पेठा कद्दू का मूलवृंत बहुत उपयुक्त पाया गया है। इन मूलवृंतो के प्रयोग से उपज में 50 से 70% की वृद्धि देखी गई है।

स्वाद जस का तस
वाराणसी के शहंशाहपुर स्थित भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान ने शोध के बाद ऐसे पौधे उगाए हैं, जिसमें दो अलग-अलग पौधे लग रहे हैं। यहां बैगन और टमाटर एक ही पौधे में उगे हैं। एक ही पौधे में दो सब्जी लगी हैं। जमीन के अंदर जड़ में आलू और ऊपर तने पर टमाटर, इसको पोमैंटो नाम दिया गया है। यानी पोटैटो के साथ टोमैटो। शोध के बाद ये कमाल ग्राफ्टिंग तकनीक से संभव हुआ है। जो सब्जियां इस तकनीक से उगाई जा रही हैं, उनके स्वाद में कोई अंतर नहीं है। वैज्ञानिकों का मानना है कि टमाटर के पौधे से जिस प्रकार के टमाटर का स्वाद होता है वह ग्राफ्टिंग तकनिक से होंने वाले सब्जियों के स्वाद भी जस के तस रहते हैं. उनमें कोई बदलाव नहीं आता है।

भारत विमर्श भोपाल मध्य प्रदेश

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