नौ दिवसीय श्री राम कथा में भव्य कलश यात्रा के साथ शुभारंभ हुआ
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चित्रकूट उप्र – कलश यात्रा बड़े हनुमान मंदिर अक्षय वट धाम से मंदाकिनी तक रामघाट तक निकाली गई। इसमें सैकड़ों महिलाएं अपने सिर पर मंगल कलश रखकर बैंड बाजों व ढोल नगाड़ों के साथ शामिल हुईं।
रविवार को कथा के प्रथम दिवस में मानस वक्ता परम श्रद्धेय संत मनोज मोहन महाराज ने मंगलाचरण के बाद कथा के महत्व को समझाया। उन्हाेंने बताया कि भगवान राम के चरित्र को सुनाना, समझना तथा आत्मसात करना समाज के लिए बहुत आवश्यक है। भगवान राम की कथा सुनने तथा उसे आत्मसात करने के बाद व्यक्ति के मन से हर प्रकार की शंका स्वतः ही दूर हो जाती है। श्री राम कथा सुनाने का अवसर श्री राम की तपोस्थली चित्रकूट में मिला है। यह कार्यक्रम 3 वर्ष पहले तय हो चुका था लेकिन कोविड-19 थे इसे निरस्त करना पड़ा।
अक्षय वट स्थित बड़े हनुमान मंदिर में श्री राम कथा सुनते हुए भक्त।
मनोज मोहन महाराज ने कहा कि यह भूमि तुलसी की जन्मभूमि है जिन्होंने रामचरितमानस का लेखन कार्य किया था। महाराज श्री ने कहा कि गोस्वामी तुलसीदास ने रामायण के प्रारंभ में गुरु के चरणों की रज की वंदना की है। अतः गुरु सर्वश्रेष्ठ है इस जगत में ब्रह्मा विष्णु व महेश के साक्षात स्वरूप गुरु को ही कहा गया है।
रामचरितमानस की सुंदर व मधुर चौपाइयां सुनकर श्रोता भाव विभोर नजर आए। इस अवसर पर बड़े हनुमान मंदिर के महंत योगेश दास, पुजारी शालिग्राम, अनिल कुमार, विजय, रमेश, शिवकुमार,अनीता श्रीवास्तव, बाबूलाल त्रिपाठी आदि मौजूद रहे।

सुभाष पटेल ब्यूरोचीफ भारत विमर्श चित्रकूट उ०प्र०