May 3, 2024

सामूहिक प्रार्थना सभा का आयोजन

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चित्रकूट – जीवन में प्रार्थना का विशेष महत्व है। प्रार्थना मानवीय मूल्यों की अवधारणा है।चित्त की वृत्ति को स्थायी करने,आत्मचेतना को जागृत करने, आत्मसंतोष  का सशक्त माध्यम है।विद्यार्थी जब ज्ञान के लिए  विद्यालय, महाविद्यालय व विश्वविद्यालय रूपी ज्ञान के मंदिर में उपस्थित होता है तो वह सर्वप्रथम प्रार्थना करता है। प्रभु श्रीराम के वनवास काल खंड में तो चित्रकूट में हुई प्रार्थना विश्व विदित है।प्रसन्नता का विषय है कि भारतरत्न राष्ट्रऋषि नाना जी देशमुख द्वारा परिकल्पित ग्रामोदय विश्वविद्यालय में भारतीय संस्कृति से ओतप्रोत आदर्श को युवा पीढ़ी में संप्रेषित करने के उद्देश्य से सामूहिक प्रार्थना सभा आयोजित की जाती है। इस आशय के विचार श्री कामदगिरि प्रमुख द्वार के संत मदन गोपाल दास ने आज महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित प्रार्थना सभा में व्यक्त किया।संतश्री मुख्य अतिथि के रूप में प्रार्थना सभा में शामिल हुए थे। कुलपति प्रो भरत मिश्रा ने इस कार्यक्रम की अध्यक्षता की।
संतश्री मदन दास महाराज ने प्रार्थना के महत्व पर प्रकाश डालते हुए बताया कि वनवास काल में प्रभु श्रीराम को मनाने राजा भरत, गुरु वशिष्ठ, राजा जनक, निषादराज आदि अपने मंत्रियों एवं प्रजा सहित चित्रकूट आये थे।सभी ने प्रभु श्रीराम से अयोध्या जाकर राज संभालने की प्रार्थना की थी।राजा भरत ने प्रार्थना स्वीकार न होने पर प्रभु प्रेम में उनकी खड़ाऊँ मांग ली थी और वनबास अवधि पर्यन्त उन्हें सिंहासन पर रखकर राजकाज संभाला। राष्ट्रऋषि नानाजी ने ग्रामोदय विश्व विद्यालय की स्थापना के समय राजा भरत के त्याग और आदर्श को युवा पीढ़ी को संप्रेषित करने के गौरवशाली उद्देश्य से खड़ाऊ को विश्वविद्यालय के प्रतीक चिन्ह के केंद्र में जगह दी। उन्होंने कहा कि प्रार्थनाओं के इतिहास में चित्रकूट का यह समागम अमर है।संतश्री ने बताया कि राजा दिलीप ने बाग के संमुख निरीह प्राणी की प्राण रक्षा के लिए स्वयं को समर्पित कर देने की प्रार्थना भी उच्च भारतीय जीवन दर्शन के मूल्यों की प्रतीक प्रस्तुति है।सौभाग्य की बात है कि चित्रकूट में ग्रामोदय विश्वविद्यालय के कुलपति के रूप भरत जी है।ग्रामोदय की यह प्रार्थना सभा भी उन्हीं मूल्यों को समर्पित है,जो भारतीय संस्कृति के केंद्र में बसुधैव कुटुम्बकम और सर्वे भवन्तु सुखनः के सार में रही है।
विवेकानंद सभागार में आयोजित इस कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि संतश्री मदन दास महाराज एवं कुलपति प्रो भरत मिश्रा द्वारा विद्यादायिनी माँ सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण और दीप प्रज्वलन से हुआ।इस अवसर पर संतश्री का ग्रामोदय परिवार द्वारा स्वागत अभिनंदन किया गया।कुलपति प्रो भरत मिश्रा ने ग्रामोदय परिवार की ओर शाल, श्रीफल भेंट कर संत मदन गोपाल दास का सम्मान किया। इस अवसर पर कुलपति प्रो भरत मिश्रा ने कहा कि प्रार्थना का मानव जीवन में विशेष महत्व है। प्रार्थना हमे आत्मबल प्रदान करती है। प्रार्थना हमें शक्ति देती है। प्रार्थना से हमारे मन विश्वास जागृत होता है। प्रो मिश्रा ने कहा कि नवरात्रि पर्व शक्ति अर्जन का पर्व है। यह हमें  भक्ति पूर्ण शक्ति प्रदान करती है। उन्होंने गांधी जी सीख का उदाहरण देते हुए सोशल मीडिया के युग में  बुरे  को लाइक न करने, बुरे को शेयर न करने व बुरे कमेंट न करने का आव्हान किया।तत्पश्चात बीएड एवं बीएलएड समूह ने तीन बार  ॐ का उच्चारण, सरस्वती वंदना एवं कुलगीत प्रस्तुत किया। प्रबंधन संकाय की छात्रा अंजली द्विवेदी ने श्रीमद्भागवत गीता के श्लोकों को प्रस्तुत किया।अभियांत्रिकी संकाय की छात्रा उन्नति शुक्ला ने महापुरुषों के जीवन श्रृंखला में शहीद भगत सिंह के वैशिष्ट्य को प्रस्तुत किया।कृषि संकाय की सरिता, दीपशिखा, दिशा, यामिनी, याछी ने समूह गान प्रस्तुत किया।कौशल केंद्र के प्राचार्य इंजी राजेश कुमार सिन्हा ने सृजन प्रस्तुति के अंतर्गत नवस्थापित रोजगार सृजन केन्द्र के लक्ष्य की जानकारी देते हुए स्टार्टअप के संबंध में विस्तार से बताया।विज्ञान संकाय की छात्रा आकांक्षा पाठक व इशु सिंह ने युगल गीत प्रस्तुत किया।जन संचार वैज्ञानिक व निदेशक दूरवर्ती प्रो वीरेंद्र कुमार व्यास ने विश्वविद्यालय के मासिक कार्यक्रम की जानकारी दी।मंच पर उपस्थित छात्र छात्राओं ने सामूहिक देवी गीत प्रस्तुत किया।कार्यक्रम संयोजक डॉ आर के पांडेय ने आवश्यक सूचनाएं दी। कार्यक्रम के समापन रघुपति राघव राजाराम के सामूहिक भजन के साथ हुआ।

जावेद मोहम्मद विशेष संवाददाता भारत विमर्श चित्रकूट म०प्र०

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