May 7, 2024

2025 तक टीवी मुक्त करने की कवायद

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चित्रकूट उप्र – गंभीर रूप से टीबी से ग्रसित मरीजों को टीबी की एक नयी दवा दी जा रही है। जिससे उन्हें राहत भी मिल रही है। यह जानकारी जिला क्षयरोग अधिकारी डॉ. इम्तियाज अहमद ने दी।
उन्होंने बताया कि सभी नए गम्भीर टीबी वाले मरीजों (एमडीआर रोगियों) को इंजेक्शन की जगह ‘बीडाकुलीन’ टैबलेट दी जा रही है। पहले गम्भीर टीबी वाले मरीजों को इंजेक्शन लेना पड़ता था, लेकिन अब इंजेक्शन की जगह बीडाकुलीन टेबलेट से ही काम चल जाएगा। एमडीआर मरीज को नौ से ग्यारह माह तक यह दवा खानी होगी।
डिप्टी डीटीओ डॉ. अरुण कुमार पटेल ने बताया कि एमडीआर टीबी के मरीजों को रोजाना इंजेक्शन लगवाने से पीड़ा होती है। इसकी जगह अब खाने वाली दवा से ही उपचार हो रहा है। उन्होंने बताया कि टीबी के उपचार को लगातार बेहद कारगर और कम कष्टकारी बनाने के प्रयास हो रहे हैं। केंद्र सरकार 2025 तक देश को टीबी मुक्त करने के प्रयास में भी जुटी है।
डिप्टी डीटीओ ने बताया कि जब से बीडाकुलीन दवा लांच हुई है| तब से चिन्हित हुए 22 नए मरीजों को बीडाकुलीन दी जा रही है। नियमित रूप से नौ से ग्यारह माह तक यह दवा खाने के बाद मरीज पूरी तरह से ठीक हो जाएगा। बीडाकुलीन दवा 18 वर्ष से अधिक आयु के मरीजों को ही दी जा रही है। इससे कम उम्र के मरीजों को यह दवा अभी देने की अनुमति नहीं है।
उन्होंने बताया कि मल्टी ड्रग रेजिस्टेंस टीबी (एमडीआर) में फर्स्ट लाइन ड्रग का टीबी के जीवाणु (माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस) पर कोई असर नहीं होता है। शुरुआती दौर में अगर टीबी का मरीज नियमित रूप से टीबी की दवाई नहीं लेता है या मरीज द्वारा गलत तरीके से टीबी की दवा ली जाती है या मरीज को गलत तरीके से दवा दी जाती है और या फिर टीबी रोगी बीच में ही टीबी के कोर्स को छोड़ देता है तो ऐसे रोगियों को मल्टी ड्रग रेजिस्टेंस टीबी हो सकती है। डिप्टी डीटीओ ने बताया किटीबी के मामले में अगर एक दिन भी दवा खानी छूट जाती है तब भी मल्टी ड्रग रेजिस्टेंस टीबी का खतरा होता है।

सुभाष पटेल ब्यूरोचीफ भारत विमर्श चित्रकूट उ०प्र०

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