April 19, 2024

5जी नेटवर्क के स्पेक्ट्रम की होगी नीलामी

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नई दिल्ली: भारती एयरटेल ने 5500 करोड़ रूपये और अडानी ने 100 करोड़ रुपये जमा किए हैं। वोडाफोन आइडिया ने 2200 करोड़ रुपए जमा किए हैं। हालांकि अडानी समूह से साफ़ किया है कि वो टेलिकॉम के बिज़नेस में नहीं उतरना चाहते और 5जी का इस्तेमाल अपने बिज़नेस में कामकाज बेहतर करने के लिए करेंगे। लेकिन इस ऑक्शन के क्या मायने हैं और इसके बाद क्या आपके रोज़मर्रा के कामों पर कोई असर पड़ेगा?

देश की चार कंपनियां इसकी नीलामी में हिस्सा लेंगी। रेस में सबसे आगे रिलांयस जियो नज़र आ रही है। कंपनी ने दूरसंचार विभाग के पास 14,000 करोड़ रुपये जमा किए हैं। इसी तरह 2जी, 3जी, 4जी और 5जी के लिए अलग अलग फ्रीक्वेंसी होती हैं। स्पेक्ट्रम फ्रिक्वेंसी की एक रेंज है जिसका इस्तेमाल मोबाइल कम्यूनीकेशन के लिए किया जाता है। किसी भी नेटवर्क को अलग-अलग स्पेक्ट्रम बैंड में बांटा जाता है। 5जी नेटवर्क के साथ भी ऐसा ही है. इसे लो, हाई और मिड बैंड में बांटा गया है। इस बार सरकार 72 गीगाहर्ट्स के स्पेक्ट्रम की नीलामी करेगी, इनमें लो स्पेक्ट्रम (600 मेगा हर्ट्स, 700 मेगा हर्ट्स, 800 मेगा हर्ट्स, 900 मेगा हर्ट्स, 1800 मेगा हर्ट्स, 2100 मेगा हर्ट्स, 2300 मेगा हर्ट्स), मिड (3300 मेगा हर्ट्स) और हाई (26 गीगा हर्ट्ज़) के स्पेट्रम शामिल है। जून में सरकार की तरफ़ से जारी एक बयान में कहा गया था, “ये उम्मीद की जा सकता है कि मिड और हाई बैंड स्पेक्ट्रम का इस्तेमाल टेलीकॉम कंपनियां 5जी टेक्नॉलॉजी पर आधारित सर्विसेज़ देंगी। इसकी स्पीड 4जी से 10 गुणा अधिक हो सकती है। दुनिया के जिन मुल्कों में 5G लॉन्च किया जा रहा है वहां ये देखा गया है कि 5G मोबाइल नेटवर्क का इंफ्रास्ट्रक्चर अलग है। 4G (एलटीई) और 3G नेटवर्क से अलग उच्च बैंडविड्थ और कम विलंबता वाली नई रेडियो तकनीक और एक अलग नेटवर्क की ज़रुरत पड़ेगी। 5G की रफ़्तार की क्षमता 10 जीबीपीएस तक है जो 4G की 100 एमबीपीएस स्पीड से 100 गुना तेज़ है।

सुदिप्त के मुताबिक, “अगर आप 4जी की बात करें, तो वो पूरी तरह से 4जी नहीं था। ये तकनीकी तौर पर 3.8 जी तक ही रह गया। इसलिए 5जी से उम्मीदें बहुत हैं, लेकिन वो इसपर कितना ख़रा उतर पाता है, ये देखना दिलचस्प होगा।

इंटरनेट ऑफ़ थिंग्स क्या है

अभी इंटरनेट का इस्तेमाल हम ज़्यादातर मोबाइल फ़ोन और कंप्यूटर पर कर रहे हैं। लेकिन 5जी से कनेक्ट कर हम फ़्रिज, टीवी, माइक्रोवेव ओवन, वॉशिंग मशीन और एसी को भी तेज़ रफ़्तार इंटरनेट से जोड़ सकेगा, आप सभी चीज़ों को इंटरनेट से कनेक्ट कर ऑपरेट कर सकते हैं। 5जी की लैटेंसी बहुत कम होगी. लेटेंसी डिवाइस से सर्वर तक पहुंचने वाले आदेश का समय, यानी कि अगर हम किसी डिवाइस से किसी चीज़ को कोई काम करने के लिए सिग्नल भेजते हैं, तो वो बहुत जल्दी वहां पहुंचेगा, इससे कई काम आसान हो जाएंगे। लेकिन इसके लिए एक बेहतर इन्फ्रास्ट्रकचर की ज़रूरत पड़ेगी और कंपनियों को इसे आप तक पहुंचाने में समय लगेगा और ये कितने कारगर साबित होंगे वो भी कंपनियों के इन्फ़्रास्ट्रक्चर पर निर्भर करेगा। भारत में इस तरह की सुविधाएं मिलने में अभी कुछ साल लग सकते हैं, लेकिन कंपनिया दावा कर रही हैं कि वो जल्दी ही 5जी लेकर आ जाएंगी। कुछ मोबाइल फ़ोन और 5जी के लिए कम्पैटिबल भी हो गए हैं।

भारत विमर्श भोपाल म०प्र०

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