December 13, 2025

महंगाई और टैक्स में बढ़ोतरी के खिलाफ, फ्रांस के युवा सड़कों पर

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पेरिस: फ्रांस में हालात गृहयुद्ध जैसे होते जा रहें हैं. महंगाई और टैक्स में बढ़ोतरी के खिलाफ फ्रांस के युवा सड़कों पर उतर चुके हैं. पेट्रोलियम उत्पादों पर टैक्स घटाने की मांग के साथ शुरू हुआ यह विरोध प्रदर्शन अब हिंसक हो चुका है. देश की राजधानी पेरिस सहित देश के अन्य शहरों में लाखों लोग सरकारी संपतियों को निशाना बना रहे है. विरोध प्रदर्शन में अबतक 100 से ज्यादा लोग घायल हो चुके हैं. जिनमें करीब 35 सुरक्षाकर्मी भी घायल हुए है.


विशेषज्ञों की नजर में यह फ्रांस कि अबतक की सबसे बड़ी विरोध प्रदर्शन हैं. बिगड़ते माहौल को देखते हुए फ्रांस की सरकार आपातकाल लगाने का विचार कर रही है.

शनिवार को हिंसक हुआ प्रदर्शन रविवार को और उग्र हो गया. राजधानी पेरिस में विरोध प्रदर्शन कर रहे लोगों ने कई कारों और सरकारी संपतियों को आग के हवाले कर दिया. पेरिस के बिगड़ते हालातों को देखते हुए सरकार के प्रवक्ता बेंजामिन ग्रिवो ने आपातकाल लगाए जाने के संकेत दिए है. बेंजामिन ग्रिवो ने रविवार को कहा कि उन्होंने प्रदर्शनकारियों से शांतिपूर्ण तरीके से चर्चा की अपील की है. रेडियो-1 से बात करते हुए ग्रिवो ने कहा, “हम उन कदमों के बारे में सोच रहे हैं, जिनसे ऐसी घटनाएं दोबारा होने से रोकी जा सकें. हर सप्ताह प्रदर्शनकारियों को हिंसा और बैठक का मौका नहीं दिया जा सकता.”

 

गौरतलब हो कि फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों जी-20 शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए अर्जेंटीना की यात्रा पर थे. मैक्रों रविवार को फ्रांस लौट सकते हैं. प्रतिष्ठित वेबसाइट डेली जनलर के अनुसार फ्रांसीसी प्रधानमंत्री एडौर्ड फिलिप पोलैंड में होने वाली पर्यावरण सम्मेलन को निरस्त कर रविवार को फ्रांस लौटने वाले हैं. फ्रांस वापस आ कर पीएम फिलिप और राष्ट्रपति मैक्रों देश की स्थिति पर आला अधिकारियों से बातचीत करेंगे. उम्मीद जताई जा रही है कि मैक्रों विरोध प्रदर्शन कर रहे लोगों से भी बात कर सकते हैं.

फ्रांस के इस प्रदर्शन को ‘येलो वेस्ट’ का नाम भी दिया गया है. इसमें प्रदर्शनकारी पीले रंग की वेस्ट पहनकर प्रदर्शन कर रहे हैं. फ्रांस सरकार की दुविधा यह है कि जारी प्रदर्शन का कोई नेता नहीं है. हजारों की संख्या में लोग बिना किसी चेहरा के अपनी मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं. लिहाजा सरकार के पास यह विकल्प नहीं है कि वह प्रदर्शनकारियों के नेता से मिलकर बातचीत कर सके.

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