पाप का बाप कौन? यह जानने के लिए यहां क्लिक करें
1 min readएक ब्राह्मण अपनी गुरुकुल की सारी शिक्षा संपन्न करके घर आया और उसकी शादी करा दी गई तो उसकी पत्नी ने उससे पूछा की पाप का बाप कौन है तो पति यानी ब्राह्मण देवता यह सुनकर हैरानी में पड़ गए कहने लगे पाप को तो जानता हूं मैंने अपने सारे अध्ययन में पाप का बाप कौन है यह नहीं जाना तो इस पाप के बाप को जानने के लिए ब्राह्मण देवता गुरुकुल की ओर गुरु जी से मिलने चल दिए अचानक चलते चलते रास्ते में एक वैश्या का घर मिला उस वैश्या ने यूं ही कहा पंडित जी राम राम कहां जा रहे हैं आप तो ब्राह्मण देवता ने जवाब दिया कि मैं एक प्रश्न का उत्तर खोजने अपने गुरु के पास जा रहा हूं वैश्या ने कहा तो प्रश्न क्या है तब ब्राह्मण ने वताया की की पाप का बाप कौन है ,तो ये सुनते ही वैश्या बोली इस प्रश्न का जवाव तो मै ही आपको बता सकती हूँ ,ब्राह्मण देवता ने सोचा ये तो और भी अच्छा है यही पता चल जायेगा तो बताओ कौन है पाप का बाप तो वैश्या बोली बता तो दूंगी लेकिन आपको हमारे यहाँ भोजन करना पड़ेगा ये सुनकर ब्राह्मण देवता कहने लगे नही तो रहने दो में गुरु जी से ही पूछ लूँगा तो वैश्या ने एक सौ का नोट ब्राह्मण को दिया तो ब्राह्मण के मन में लोभ आ गया और वह खाना खाने के तैयार हो गया फिर जब वेश्या खाना बना कर लाई तो उसने कहा कि पंडित जी अगर आपको ऐतराज ना हो तो मैं ही अपने हाथों से आपको खाना खिला दूं तो ब्राह्मण देवता ने थोड़ा ऐतराज जताया तो फिर से वेश्या ने सौ का नोट दे दिया ब्राह्मण उसके हाथ से खाना खाने के लिए तैयार हो गया जैसे ही वैश्या ने भोजन का एक निवाला ब्राह्मण के मुख के तरफ बढ़ाया और ब्राह्मण ने जैसे ही मुंह खोला तो वैश्या ने उसे एक जोर से थप्पड़ मार दिया और कहा कि यही है पाप का बाप और कहां कि तुम अपनी मर्यादा लोभ के कारण भूल गए लेकिन मैं अपनी मर्यादा जानती हूं तो इस कहानी से हमें पाप का बाप कौन है यानी पाप क्यों होता है यह पता चलता है।
नोट- इस कहानी में ब्राह्मण को इसलिए मुख्य बनाया क्योंकि ब्राह्मण सर्वश्रेष्ठ है और जब कोई सम्मानीय या सर्वश्रेष्ठ व्यक्ति लोभ के कारण नीच की संगति करते वही पाप है और पाप का बाप लोभ है।
लोभ ही सब पापो का कारन बनता है ।।