चित्रकूट में दीपदान करने उमड़ी लाखों श्रद्धालु भक्तों की भीड़।
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चित्रकूट – मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम की पावन कर्मस्थली पवित्र नगरी चित्रकूट धाम के परंपरागत पांच दिवसीय दीपावली मेला पर्व पर दीपदान करने के लिए लाखों श्रद्धालु भक्तों की भारी भीड़ उमड़ पड़ी है।लाखों की संख्या में चित्रकूट पहुंचे श्रृद्धालु भक्तों द्वारा पवित्र नदी मंदाकिनी में स्नान करने के बाद भगवान श्री कामता नाथ के दर्शन कर पवित्र कामदगिरि पर्वत की पांच किलो मीटर की परिक्रमा करते हुए दीपदान किया जा रहा है।एक अनुमान के अनुसार पांच दिवसीय दीपावली मेला पर्व पर लगभग 40 लाख श्रृद्धालु तीर्थ यात्रियों के चित्रकूट आगमन का अनुमान लगाया जा रहा।पांच किलो मीटर की कामदगिरि परिक्रमा मार्ग के अलावा मंदाकिनी नदी किनारे रामघाट, भरत घाट,राघव प्रयाग घाट, के साथ ही जानकी कुण्ड,स्फटिक शिला,हनुमान धारा,सती अनुसुइया, गुप्त गोदावरी स्थित चित्रकूट क्षेत्रांतर्गत लगभग पंद्रह किलो मीटर की परिधि में केवल और केवल श्रृद्धालु भक्तों की भीड़ ही भीड़ दिखाई दे रही है।पावन चित्रकूट धाम में दीपावली के दिन मेला लगने की परंपरा अनादि काल से चली आ रही है।ऐसी मान्यता है कि त्रेता युग में भगवान श्री राम – लंका विजय के उपरांत सबसे पहले ऋषि मुनियों से मिलने चित्रकूट आए थे।उस समय ऋषि मुनियों,कोल भीलों द्वारा संपूर्ण चित्रकूट क्षेत्रांतरगत में दीप प्रज्वलित करके भगवान श्री राम,माता जानकी और लक्ष्मण जी का अभिनंदन किया गया था।चित्रकूट स्थित कामदगिरि प्रदक्षिणा का प्रमुख द्वार मंदिर के महंत जगद्गुरु श्री राम स्वरूपाचार्य जी महाराज द्वारा दीपदान करने के बारे में जानकारी देते हुए बताया गया कि दीप का अर्थ होता है प्रकाश।और जहां असंख्य दीप प्रज्वलित हो जाएं,तब वह दीपावली अर्थात दीपमालिका हो जाती है।वैसे तो दीपावली पर्व में छोटे छोटे गांवों, नगरों में सनातन धर्मावलंबियों द्वारा दीपदान किया जाता है,लेकिन चित्रकूट में ही दीपदान क्यों प्रसिद्ध है,क्योंकि यहां अनादिकाल से ही लाखों श्रद्धालु भक्त दीपावली पर्व पर दीपदान करने के लिए आते रहे हैं।सनातन संस्कृति में दीपदान करने की परंपरा युगों युगों से चली आ रही है। अमावस्या का अर्थ होता है अंधकार,और दीपावली सदैव से प्रकाश का पर्व रहा है।सनातन संस्कृति में कृष्ण पक्ष के बाद शुक्ल पक्ष आता है।आज के दिन दीपदान करके मनुष्य अंधकार से प्रकाश की तरफ अग्रसर होता है।चित्रकूट में भगवान श्री कामता नाथ जी महाराज विराजमान हैं।राम चरित मानस की चौपाई है कि कामद भे गिरी राम प्रसाद।अवलोकत अप हरत विषादा। विषाद का अर्थ भी एक प्रकार से अंधकार ही है।दीपावली पर्व पर लाखों की संख्या में चित्रकूट आकर भक्त दीपदान करते हुए अपने जीवन को अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाते हैं।अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक सतना विक्रम सिंह कुशवाहा द्वारा मेला पर्व पर तीर्थ यात्रियों की सुरक्षा व्यवस्था बावत जानकारी देते हुए बताया गया कि चौदह सौ पुलिस अधिकारियों, कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई गई है।बड़े वाहनों को बाहर ही रोक दिया गया है।चार पहिया और दो पहिया वाहनों को भी पार्किंग स्थलों पर खड़ा करवाया जा रहा है।भीड़ नियंत्रण के लिए विभिन्न स्थल चयनित किए गए हैं।भीड़ बहुत ही अधिक है,सभी को दर्शन हो सके,इस बात का खयाल रखा जा रहा है।अभी तक 20 से 25 लाख श्रृद्धालु तीर्थ यात्रियों के चित्रकूट आगमन का अनुमान लगाया गया है।दीपदान करने के लिए मंदाकिनी नदी के घाटों पर विशेष व्यवस्था बनाई गई है।


जावेद मोहम्मद विशेष संवाददाता भारत विमर्श चित्रकूट मध्य प्रदेश