इलाज के बाद सोमवती की हुई मौत
1 min readसतना – जिले में एक बार फिर कमाउखोर अधिकारियों के कारण के मासूम को अपनी जान गवानी पडी, कलेक्टर के पिछलग्गू महिला बाल विकास के जिला अधिकारी और जिला प्रशासन की लापरवाही सामने आयी है। आये दिन फोटोशूट करवाने वाले अधिकारी आफ लीपापोती करने में जुट गये हैं।करीब आठ माह पहले जिस सोमवती के कारण महिला एवं बाल विकास विभाग के अफसरों को खरी-खोटी सुननी पड़ी उस नाबालिग को कुपोषण का दैत्य अथवा कोई गंभीर बीमारी निगल गई। आज वह मासूम इस दुनिया में नही है लेकिन अपने पीछे कई सवाल पीछे छोड़ गई। ये वही सोमवती है, जिसकी चमड़ी कुपोषण के चलते हड्डियों से चिपक गई थी। लिहाजा मुख्यमंत्री शिवराज सिह ने इलाज के निर्देश दिए थे। करीब पांच माह निगरानी में इलाज चला और जब सोमवती का शरीर कुछ हष्ट-पुष्ट हुआ था तब विभाग ने सफलता की कहानी सुनाई थी। बाकायदा सोमवती के इलाज और उसकी सेहत में सुधार का लम्बा चैड़ा बखान किया गया था। अचानक क्या हुआ कि सोमवती की मौत हो गईं ? हालांकि इस पूरे मामले के पीछे महिला बाल विकास अधिकारी एवं बीएमओ का मामना है कि जिस बीमारी से सोमवती की मौत हुई है उसके पीछे डायबिटीज से संबंधित जुबेनाइल नामक बीमारी रही जिसका दुनिया में कोई इलाज नहीं है।
उल्लेखनीय है कि कुपोषित सोमवती 3 फरवरी को पूर्णत: स्वास्थ्य होकर अपने गांव सुरंगी लौटी थी। तब कलेक्टर अनुराग वर्मा, डीपीओ सौरभ सिह और मातृ छाया सेवा भारती के सदस्यों ने फूल मालाओं से स्वागत कर उसे नाना के घर पहुंचाया था। सोमवती का यह रूप देखकर लोगों को लगा कि जैसे उसने कुपोषण की जंग जीत ली है। प्रशासन ने भी दवा किया था कि सोमवती कुपोषण से मुक्त हो चुकी है। उसके मोतियाबिद का भी सफल ऑपरेशन किया जा चुका है। ऐसे में उसे पूर्ण स्वस्थ्य बताकर उत्साह पूर्वक घर भेज दिया गया। अब सवाल यह उठता है कि करीब 3 महीने बाद ऐसा क्या हुआ कि सोमवती की जान चली गई? अधिकारियों का दावा है कि सोमवती जुबेनाइल डायबिटीज की मरीज थी लेकिन सवाल यही है कि जब अधिकारियों को उसके रोग के संबंध में पूरी जानकारी थी तो फिर बीमारी के संबंध में कोई ठोस कदम क्यों नहीं उठाये गए? अखिर क्यों सोमवती को उसके नाना के हैंडओवर किया गया? क्या जिला प्रशासन इस मामले में गंभीरतापूर्वक निगरानी न करने के लिए जिम्मेदार है?
8 महीने पहले सुर्खियों में आई थी सोमवती
चित्रकूट क्षेत्र के सुरंगी गांव में रहने वाली 8 वर्षीय सोमवती उस वक्त सुर्खियों में आई थी जब बेहद गंभीर अवस्था में उसकी तस्वीर सोशल मीडिया में वायरल हुई। 4 सितम्बर 2022 को सोमवती की हालत देखकर जिला प्रशासन सक्रिय हुआ और आनन-फानन में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, सुपरवाइजर और सीडीपीओ पर कार्यवाही कर इलाज के लिए जिला अस्पताल में पीकू वार्ड लाकर भर्ती कराया गया। 15 अक्टूबर तक सोमवती का इलाज जिला अस्पताल के विशेषज्ञ डॉक्टरों ने किया इसके बाद एम्स भोपाल के लिए रेफर किया गया। 8 महीने पहले सुर्खियों में आई सोमवती महिला एवं बाल विकास विभाग के अफसरों के बदलाव का कारण बनी मगर अब वह इस दुनिया में नहीं है।
80 गांव हैं कुपोषण कि जद में
जिले के मझगवां विकासखण्ड में कुपोषित बच्चों की संख्या सैकड़ों में है। करीब 80 गांव तक कुपोषण का काला साम्राज्य फैला हुआ है। यही कारण है कि तब एक कमेटी बनाई थी जिसने सतत निगरानी का जिम्मा लिया था। इस कमेटी कि एक मात्र बैठक तभी हुई थी जब सोमवती का मामला प्रदेश स्तर तक चर्चा में था। इस चर्चा के बाद जैसे ही प्रकरण ठंडा पड़ा वैसे ही अधिकारियों ने भी आंखें फ़ेर ली। जिस अधिकारी को बड़ा होनहार बता कर सीडीपीओ का जिम्मा दिया गया वह अधिकारी कभी अपने प्रभार क्षेत्र वाली आंगनबाड़ियों का दौरा करने ही नहीं गया। जाने कितने बच्चें है जो आज भी कुपोषण से जूझ रहे हैं।
खाली एनआरसी पर भड़के कलेक्टर
कुपोषण से जूझते सतना जिले के सैकड़ों बच्चे एनआरसी में भर्ती कर इलाज कराने योग्य हैं, मगर जिले के जिम्मेदार अधिकारियों ने कभी भी उन अभिभावकों से सम्पर्क नहीं किया जिनका बच्चा गंभीर कुपोषण से जूझ रहा है। ऐसे में जिले के सभी पोषण एवं पुनर्वास केन्द्र खाली पड़े हुए हैं जिसे देखकर कलेक्टर नाराज तो हुए मगर कार्यवाही केवल नोटिस तक सिमट कर रह गई।
भारत विमर्श भोपाल मध्य प्रदेश