मशहूर लेखक तारिक फतेह का निधन
1 min readनई दिल्ली – पाकिस्तानी मूल के मशहूर लेखक तारिक फतेह का निधन हो गया। वे लंबे समय से बीमार चल रहे थे। उनकी उम्र 73 थी। बेटी नताशा ने उनके निधन की पुष्टि की है। नताशा ने ट्वीट किया, ‘पंजाब के शेर, हिन्दुस्तान के बेटे, कनाडा के प्रेमी, सच बोलने वाले, न्याय के लिए लड़ने वाले, दलितों और शोषितों की आवाज तारिक फतेह अब हमारे बीच नहीं रहे। उनका काम और उनकी क्रांति उन सभी के साथ जारी रहेगी, जो उन्हें जानते और प्यार करते थे। बता दें कि वे भारत के प्रति अपने उदारवादी रुख के कारण यहां के लोगों में खासे लोकप्रिय थे।
बता दें कि तारिक फतेह का परिवार मुंबई का रहने वाला था। 1947 में जब भारत और पाकिस्तान का विभाजन हुआ तो उनका परिवार पाकिस्तान के कराची में जाकर बस गया। जहां 20 नवंबर साल 1949 को कराची में तारिक फतेह का जन्म हुआ। मशहूर लेखक तारिक फतेह ने कराची यूनिवर्सिटी से बायोकेमिस्ट्री की पढ़ाई की थी, लेकिन बाद में उन्होंने पत्रकारिता को अपना पेशा बनाया।
उन्होंने एक पाकिस्तानी टीवी चैनल में काम किया। उससे पहले 1970 में वे कराची सन नाम के अखबार में रिपोर्टिंग करते थे। खोजी पत्रकारिता के कारण वे कई बार जेल भी गए। हालांकि बाद में तारिक पाकिस्तान छोड़ कर सऊदी अरब चले गए। जहां से 1987 में वे कनाडा में बस गए।
तारिक फतेह की पहचान पाकिस्तानी मूल के कनाडाई लेखक प्रसारक और सेक्युलर उदारवादी कार्यकर्ता के रूप में थी। वे इस्लामी अतिवाद के खिलाफ मुखर होकर बोलते और लिखते रहे। चेजिंग अ मिराज : द ट्रैजिक इल्लुझ़न ऑफ़ ऐन इस्लामिक स्टेट उनकी प्रसिद्ध कृति है। वे समलैंगिक व्यक्तियों के सामान अधिकारों और हितों के भी पक्षधर थे। इसके साथ ही बलूचिस्तान में मानवाधिकार के हनन पर भी उन्होंने खूब लिखा और बोला। वे आजाद बलूचिस्तान के पक्षधर के रूप में भी जाने जाते थे।
पाकिस्तान को हमेशा दिखाया आईना
तारिक फतेह हमेशा से पाकिस्तान के कट्टर आलोचक रहे। उन्होंने कई मौकों पर पाकिस्तान को आईना दिखाने का काम किया। भारत और हिंदुओं के प्रति उनका रुख हमेशा से सकारात्मक रहा। हर बड़े मुद्दे पर वे अपना विचार रखते थे। इस्लाम की कुछ परंपराओं को लेकर उनके विचार विवाद में भी रहे। कई मुद्दों पर उन्होंने भारत का समर्थन किया। उन्होंने कई बार मोदी सरकार की भी सराहना की थी। एक बयान में उन्होंने कहा था कि मोदी ने बिना एक गोली चलाए पाकिस्तान को भुखमरी की हालत पर ला दिया।
पाकिस्तानी मूल के मशहूर लेखक तारिक फतेह का निधन हो गया। वे लंबे समय से बीमार चल रहे थे। उनकी उम्र 73 थी। बेटी नताशा ने उनके निधन की पुष्टि की है। नताशा ने ट्वीट किया, ‘पंजाब के शेर, हिन्दुस्तान के बेटे, कनाडा के प्रेमी, सच बोलने वाले, न्याय के लिए लड़ने वाले, दलितों और शोषितों की आवाज तारिक फतेह अब हमारे बीच नहीं रहे। उनका काम और उनकी क्रांति उन सभी के साथ जारी रहेगी, जो उन्हें जानते और प्यार करते थे। बता दें कि वे भारत के प्रति अपने उदारवादी रुख के कारण यहां के लोगों में खासे लोकप्रिय थे।
उन्होंने एक पाकिस्तानी टीवी चैनल में काम किया। उससे पहले 1970 में वे कराची सन नाम के अखबार में रिपोर्टिंग करते थे। खोजी पत्रकारिता के कारण वे कई बार जेल भी गए। हालांकि बाद में तारिक पाकिस्तान छोड़ कर सऊदी अरब चले गए। जहां से 1987 में वे कनाडा में बस गए।
तारिक फतेह की पहचान पाकिस्तानी मूल के कनाडाई लेखक प्रसारक और सेक्युलर उदारवादी कार्यकर्ता के रूप में थी। वे इस्लामी अतिवाद के खिलाफ मुखर होकर बोलते और लिखते रहे। चेजिंग अ मिराज : द ट्रैजिक इल्लुझ़न ऑफ़ ऐन इस्लामिक स्टेट (Chasing a Mirage: The Tragic Illusion of an Islamic State) उनकी प्रसिद्ध कृति है। वे समलैंगिक व्यक्तियों के सामान अधिकारों और हितों के भी पक्षधर थे। इसके साथ ही बलूचिस्तान में मानवाधिकार के हनन पर भी उन्होंने खूब लिखा और बोला। वे आजाद बलूचिस्तान के पक्षधर के रूप में भी जाने जाते थे।
पाकिस्तान को हमेशा दिखाया आईना
तारिक फतेह हमेशा से पाकिस्तान के कट्टर आलोचक रहे। उन्होंने कई मौकों पर पाकिस्तान को आईना दिखाने का काम किया। भारत और हिंदुओं के प्रति उनका रुख हमेशा से सकारात्मक रहा। हर बड़े मुद्दे पर वे अपना विचार रखते थे। इस्लाम की कुछ परंपराओं को लेकर उनके विचार विवाद में भी रहे। कई मुद्दों पर उन्होंने भारत का समर्थन किया। उन्होंने कई बार मोदी सरकार की भी सराहना की थी। एक बयान में उन्होंने कहा था कि मोदी ने बिना एक गोली चलाए पाकिस्तान को भुखमरी की हालत पर ला दिया।
पहले सऊदी फिर कनाडा गए
तारिक फतेह 1980 के दशक में पाकिस्तान से पहले सऊदी अरब गए। उसके बाद 1987 में वह कनाडा चले गए और वहीं बस गए। हालांकि, बीच-बीच में उनका भारत आना होता रहता था। वह भारत के विभाजन को गलत बताते थे। उनका कहना था कि पाकिस्तान भी भारतीय संस्कृति का हिस्सा है।
भारतीय संस्कृति को एकता का सूत्र बताते थे
तारिक फतेह हमेशा मजहबी कट्टरता के खिलाफ रहे। वह भारतीय संस्कृति को एकता का सूत्र मानते थे। उन पर पाकिस्तानी आतंकियों ने कई बार हमला किया, लेकिन वह डरे नहीं, बल्कि और बेबाकी से अपनी राय रखते रहे। भारत में एक टीवी चैनल पर ‘फतह का फतवा’ नाम से एक कार्यक्रम शुरू हुआ था, जिसको लेकर काफी विवाद भी हुआ था।
कई किताबें भी लिखीं
तारिक फतेह मूल रूप से लेखक थे। उन्होंने कई किताबें लिखी थीं जिनमें से ‘ चेजिंग अ मिराज : द ट्रैजिक इल्लुजन ऑफ एन इस्लामिक स्टेट’ बहुत प्रसिद्ध रही। वे समलैंगिक लोगों के सामान अधिकारों और हितों के पक्षधर थे। इसके साथ ही बलूचिस्तान में मानवाधिकार के हनन पर भी उन्होंने खूब लिखा और बोला। वे आजाद बलूचिस्तान के पक्षधर के रूप में भी जाने जाते थे।
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