दलित हित के नाम पर कांग्रेस का पाखंड…
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अनुज अवस्थी, नई दिल्ली: देश में राजनीति का स्तर इतना गिरेगा, इस बात से कोई भी अनिभिज्ञ नहीं था लेकिन इस कदर गिरेगा ये वाकई चिंता का सबब बन गया है। विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र यानि कि भारत के राजनैतिक दलों के रवैये को देखकर तो ऐसा प्रतीत होता है जैसे कि इस देश में स्वार्थ की बयार बह चली हो। एससी/एसटी कानून में बदलाव के सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर दलित वर्ग में बड़े पैमाने पर आक्रोश देखने को मिला, और इसकी बानगी तब देखने को मिली जब देश के अलग-अलग हिस्सो में जातीय हिंसा होने लगी। इस हिंसा की कीमत 12 लोगों को अपनी जान गवाकर चुकानी पड़ी। एक तरफ देश में चौतरफा हिंसा का माहौल बना हुआ था तो दूसरी तरफ सभी राजनैतिक दल अपने-अपने फायदे के लिए सियासी दाव पेच चलने में लगे हुए थे
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हद तो तब हो गई जब देश की मुख्य विपक्षी कांग्रेस पार्टी दलितों को न्याय दिलाने और अपनी और से हमदर्दी व्यक्त करने के लिए उपवास करने के लिए बैठ गई। कांग्रेस ये उपवास दलित समुदाय के बीच में अपनी छवि सुधारने औऱ उन्हें ये दिखाने के लिए कर रही थी कि उन्हें लगे कि दलितों के हित में कांग्रेस के नेता भोजन का भी त्याग कर सकते हैं। लेकिन क्या किया जाए वक्त को कुछ औऱ ही मंजूर था। दलितों के लिए उपवास के नाम पर कांग्रेस की किरकिरी तब हो गयी जब सोशल मीडिया औऱ टीवी चैनलों पर एक तस्वीर जोरों से वायरल होनें लगी। दसअसल इस तस्वीर में कांग्रेस के दिग्गज नेता छोले भटूरे खाते हुए नजर आ रहे थे। जब इस तस्वीर के जरिए टीवी चैनलों ने नेताओं पर उपवास के नाम पर चुटकी लेनी शुरु की तो इन रसूक दारों को सामने आ कर सफाई देनी पड़ी।
दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष और कांग्रेस के बड़े नेता अजय माकन ने छोले भटूरे पर सफाई देते हुए कहा कि ये नास्ता उपवास के पहले किया गया था। बहराल, यहां पर गौर करने वाली बात ये भी थी कि उपवास का समय 10 बजे था लेकिन कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी दोपहर 1 बजे पहुंचे। यानि की उपवास का तकरीबन आधा समय गुजर जाने के बाद। इसके अलावा एक तस्वीर खूब वायरल हुई जिसमें राहुल गांधी और शीला दीक्षित उपवास के दौरान ठहाके लगाते हूए दिखाई दिये। फिर क्या था भारतीय जनता पार्टी ने इसी मौके का फायदे उठाते हुए कांग्रेस पर बरसना शुरु कर दिया। इसके साथ ही सभी मीडिया चैनलों पर बहस चलने लगी कि उपवास के नाम पर पाखंड क्यों? दलितों को उपवास के नाम पर कांग्रेस ने धोखा दिया है। और ऐसे ही तमाम सवाल राजनैतिक गलियारों में उफान मार रहे थे।
बहराल, इस देश के दलित वर्ग से लेकर सभी जाति, समुदाय के लोगों को समझना होगा कि अगर हम अपने जरा से स्वार्थ के लिए उग्र होते रहेंगे और समझदारी से काम नहीं लेगें तो ये राजनैतिक दल किसी न किसी रुप में हमारे वोटों को पाने के लिए ये ऐसी हरकते करते रहेंगे। हमें इस राष्ट्र निमार्ण के लिए कंधे से कंधा मिलाकर चलना होगा जिससे इस देश की गरिमा और लाज को बचाया जा सके।