May 12, 2024

जन शिक्षण संस्थान द्वारा ‘ठोस कचरा प्रबंधन’ पर संगोष्ठी का आयोजन

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चित्रकूट- 20 जुलाई 2021/ दीनदयाल शोध संस्थान द्वारा संचालित एवं कौशल विकास तथा उद्यमिता मंत्रालय द्वारा प्रायोजित जन शिक्षण संस्थान चित्रकूट ने स्वच्छता पखवाड़ा अंतर्गत आज मंगलवार को संग्रामपुर विकासखंड कर्वी में ठोस कचरा प्रबंधन विषय पर संगोष्ठी का आयोजन किया। कार्यक्रम का उद्घाटन ग्राम प्रधान श्रीमती ममता एवं निदेशक जन शिक्षण संस्थान चित्रकूट रमाशंकर त्रिपाठी द्वारा भारत रत्न नानाजी देशमुख एवं भारत माता के चित्र पर पुष्पार्चन से किया गया। संगोष्ठी में प्रधानाचार्य श्री धीरेंद्र पटेल द्वारा अतिथियों का स्वागत किया गया।
संगोष्ठी में निदेशक जन शिक्षण संस्थान चित्रकूट रमाशंकर त्रिपाठी ने विचार व्यक्त करते हुए कहा आधुनिक काल में तेजी से बढ़ते शहरीकरण, औद्योगिकीकरण व वातावरण प्रदूषण के प्रति लापरवाही ने शहरों में ठोस कचरे की समस्या पैदा कर दी है। इनके कारण शहरों में गंदगी का विस्तार हो गया है। इस गंदगी से बीमारियाँ फैलने लगी है। इस समस्या के निवारण के लिए शहरी निकायों में ठोस कचरा प्रबंधन या कचरा निस्तारण कार्यक्रम आवश्यक हो गया हैं। श्री त्रिपाठी ने ग्रामीणों को ठोस कचरा प्रबंधन के विषय में जागरूक करते हुए निम्नलिखित उपाय अपनाने हेतु प्रेरित करते बताया कि ठोस कचरे के उचित उपचार या निस्तारण की व्यवस्था करना है, ताकि लोगों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव न पड़े।
कचरे के पुनः प्रयोग व पुनः चक्रण की व्यवस्था करने हेतु उपाय सुझाए। उन्होने बताया कि कचरे को ऊर्जा में परिवर्तित करने की प्रक्रियाओं का संचालन एवं उनका प्रबंधन आवश्यक है। कार्यक्रम का संचालन सहायक परियोजना अधिकारी श्री अनिल सिंह जी ने किया। श्री सिंह ने ठोस कचरा प्रबंधन पर अपने विषय रखते हुए बताया कि भारत सरकार ने कानूनी स्तर पर पहल करते हुए ठोस अपशिष्ट को प्रबंधित करने तथा उसके प्रसार को रोकने व एक व्यवस्थित प्रणाली में आम नागरिकों के योगदान के लिए ठोस अपशिष्ट प्रबन्धन नियम 2016 को प्रस्तुत किया हैं, जो इस तरह हैं।
जैव निम्नीकरणीय, गैर-जैव निम्नीकरणीय एवं घरेलू खतरनाक अपशिष्टों को प्रत्येक घर में अलग अलग पात्र में डाला जाए तथा इन्हें केवल नगरीय निकाय के प्रतिनिधि को ही सौपा जाए। स्थानीय निकाय को यह अधिकार होगा कि वह प्रदूषणकर्ताओं से दंड शुल्क का भुगतान ले, निकाय अपनी नियमावली के अनुसार शुल्क व दंड निर्धारित करें।
कार्यक्रम संयोजक श्री बनारसी लाल पांडे ने ठोस कचरा प्रबंधन की व्यवहारिक समस्या एवं आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने बताया कि कचरा प्रबंधन हेतु निम्न अनुसार व्यवस्था की जा सकती है सामग्रियों के अनुसार, इसे प्लास्टिक डस्टबिन, स्टेनलेस स्टील डस्टबिन, सिरेमिक डस्टबिन, लकड़ी के डस्टबिन आदि में विभाजित किया जा सकता है।कार्यक्रम में प्रशिक्षणार्थियों द्वारा ठोस कचरा प्रबंधन पर मॉडल प्रस्तुत किया गया तथा पेंटिंग द्वारा उपस्थित जनसमूह को ठोस कचरा प्रबंधन का व्यवहारिक ज्ञान दिया। कार्यक्रम में कृषि विज्ञान केंद्र चित्रकूट के कृषि सलाहकार श्री सत्यम चौरिहा ने ठोस कचरा प्रबंधन के संबंध में जैविक खाद बनाने की जानकारी दी। रसोई के निकले कचरे को सदुपयोग कर कृषि कार्य हेतु जैविक खाद बनाई जा सकती है।कार्यक्रम में जन शिक्षण संस्थान चित्रकूट के सिलाई प्रशिक्षण के प्रशिक्षणार्थियों के साथ उनके अभिभावक तथा विद्यालय परिवार के सदस्य उपस्थित रहे। जन शिक्षण संस्थान के सहायक परियोजना अधिकारी श्री प्रभाकर मिश्रा, लेखाकार श्री अजय पांडे एवं अन्य कार्यकर्ता, श्री गणेश पटेल श्री सुघर सिंह, अनुदेशक श्रीमती गौरी कुशवाहा, शबनम, विद्यालय के अध्यापक श्री दिगम्बर दुबे एवं सुश्री राधा इत्यादि उपस्थित रहे।

सुभाष पटेल की रिपोर्ट के अनुसार जावेद मोहम्मद विशेष संवाददाता भारत विमर्श चित्रकूट म०प्र०

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