मंदाकिनी नदी को प्रदूषण से बचाने के लिए युवा पत्रकार ने प्रधानमंत्री को खून से लिखा गया पत्र
1 min readचित्रकूट – मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम की पावन तपस्थली पवित्र नगरी चित्रकूट धाम में महासती अनुसुइया के तपोबल प्रभाव से उद्गमित होकर बहने वाली पावन पुण्य सलिला पवित्र नदी मंदाकिनी वर्तमान समय में अपने अस्तित्व के संकट से जूझ रहीं है।कारण कि लगभग एक सैकड़ा सीधे जाकर पवित्र नदी में मिलने वाले नाले और चित्रकूट में नदी किनारे बने बड़े बड़े मठ मंदिरों से निकलने वाले गंदे पानी के द्वारा पवित्र नदी की हालत बिगाड़कर रख दी गई है।वर्तमान समय में अगर यह कहा जाए तो अतिशयोक्ति नहीं होगी कि “पवित्र नदी मंदाकिनी” तिल तिल कर मृत्यु को प्राप्त हो रही है। तिल तिल कर मर रही पवित्र नदी मंदाकिनी को बचाने चित्रकूट के युवा पत्रकार और हिंदी खबर न्यूज चैनल के संवाददाता अनुज हनुमत द्वारा अपने खून से यूपी और एमपी के मुख्यमंत्रियों सहित देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा गया है।पूछे जाने पर अनुज हनुमत द्वारा बताया गया कि भगवान श्री राम की पावन तपस्थली पवित्र नगरी चित्रकूट धाम सदैव से ऋषि मुनियों की तपस्थली रही है। महासती अनुसुइया द्वारा अपने तपोबल से पवित्र नदी मंदाकिनी को उद्गमित किया गया था।ऐसा शास्त्रों और पुराणों में वर्णन मिलता है। वही पवित्र नदी मंदाकिनी वर्तमान समय में अपने अस्तित्व के संकट से जूझ रहीं है।जहां वर्तमान समय में लगभग एक सैकड़ा नाले सीधे नदी में गिरकर नदी को प्रदूषित कर रहे हैं। तो वही नदी किनारों पर लगातार अतिक्रमण के चलते नदी के जल श्रोत धीरे धीरे बंद हो रहे हैं।उन्होंने बताया कि पूर्व में भी उनके द्वारा प्रधानमंत्री को खून से पत्र लिखा जा चुका है।साथ ही कई बार यूपी और एमपी के प्रशासन को भी अवगत करवाया जा चुका है।बावजूद आज दिनांक तक कोई हल नहीं निकल सका है। अतः एक बार पुनः यूपी और एमपी के मुख्यमंत्रियों सहित देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खून से पत्र लिखकर पवित्र नदी मंदाकिनी को बचाने की गुहार लगाई जा रही है।अनुज हनुमत ने कहा कि तिल तिल कर मर रही पवित्र नदी को बचाने की दिशा में अगर समय रहते ध्यान नहीं दिया गया,तब फिर चित्रकूट के अस्तित्व पर ही प्रश्न चिन्ह उठ खड़ा हो जाएगा।
जावेद मोहम्मद विशेष संवाददाता भारत विमर्श चित्रकूट म०प्र०