May 21, 2024

SBI को छोड़ सभी सरकारी बैंक होंगे प्राइवेट

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नई दिल्ली – जब से मोदी सरकार ने मोर्चा संभाला है तब से प्राइवेटाइजेशन यानि निजीकरण की रफ्तार तेज हो गई है। खबर बैंकिंग सेक्टर से है जहां सरकार जल्द ही दो सरकारी बैंकों को प्राइवेट करने जा रही है। मिली जानकारी के मुताबिक इसकी तैयारियां पूरी हो चुकी हैं। गौरतलब हो सरकारी कर्मचारी सरकार के इस कदम के विरोध में लगातार हड़ताल भी कर रहे हैं। हैरान करने वाली बात ये है कि देश के दो प्रमुख अर्थशास्त्रियों ने भी सरकार के कदम पर अपनी राय रखते हुए कहा कि, सरकार को भारतीय स्‍टेट बैंक को छोड़कर सभी सरकारी बैंकों को प्राइवेट हाथों में सौंप देना चाहिए ।गौरतलब हो कि बजट पेश करते समय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2022 में दो सरकारी बैंकों का प्राइवेटाइजेशन करने की घोषणा की थी. वहीं नीति आयोग niti ने कहा है कि इंडियन ओवरसीज बैंक और सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया का निजीकरण कर दिया जाना चाहिए. हालांकि, सरकार ने अभी तक इसे लेकर कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की है कि किस बैंक का निजीकरण किया जाएगा. वित्त मंत्री ने तो एक बीमा कंपनी को भी बेचने की बात कही थी।

सभी बैंको का होगा निजीकरण

भारत के दो मशहूर अर्थशास्त्रियों के मुताबिक सरकार को स्टेट बैंक को छोड़कर सभी बैंक प्राइवेट बैंक कर देना चाहिए।इन अर्थशास्त्रियों में पहला नाम नीति आयोग के पूर्व उपाध्‍यक्ष और कोलंबिया यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर अरविंद पनगढिया (Professor Arvind Panagariya) का है। वहीं दूसरा नाम एनसीएईआर की डायरेक्‍टर जनरल और प्रधानमंत्री को आर्थिक विषयों पर सलाह देने वाली परिषद की सदस्‍य पूनम गुप्‍ता (Poonam Gupta) हैं।इन दोनो ने सरकार को यह बड़ी सलाह दी है।
क्या कहा अर्थशास्त्रियों ने

इंडिया पॉलिसी फोरम में पेश पनगढिया और गुप्‍ता ने एक पॉलिसी पेपर में कहा है, ‘सरकारी बैंकों का निजीकरण सब के हित में है. अधिकतर बैंकों के प्राइवेट सेक्टर में जाने से भारतीय रिजर्व बैंक पर भी दबाव बढ़ेगा कि वह पूरी प्रक्रिया, नियमों और कानूनों को सुव्यवस्थित करे, ताकि इसका अच्छा नतीजा निकल सके.’

कौन से बैंक हैं इस लिस्ट में

1956 में स्थापित, NCAER जो कि, भारत का सबसे पुराना और सबसे बड़ा स्वतंत्र, गैर-लाभकारी, आर्थिक नीति अनुसंधान संस्थान है उसकी वेबसाइट ncaer.org की तरफ से दी गई रिपोर्ट के मुताबिक, इस पॉलिसी पेपर में कहा गया है कि सैद्धांतिक रूप से एसबीआई सहित सभी सरकारी बैंकों का प्राइवेटाइजेशन किया जाना चाहिए. लेकिन भारत के आर्थिक और राजनीतिक ढांचे में कोई सरकार यह नहीं चाहेगी कि उसके पास कोई सरकारी बैंक नहीं हो. इसे देखते हुए फिलहाल लक्ष्य एसबीआई को छोड़कर बाकी सभी बैंकों का निजीकरण करना होना चाहिए. अगर कुछ साल बाद माहौल अनुकूल दिखे तब एसबीआई का निजीकरण भी किया जाना चाहिए. यानी दोनों ही अर्थशास्त्री बैंकों के प्राइवेट होने पर अपना पूर्ण समर्थन दे रहे हैं।
कितने सरकारी बैंक हैं अभी, देखिए लिस्ट

मौजूदा वक्त में भारतीय स्टेट बैंक सहित कुल 12 सरकारी बैंक हैं. एसबीआई के अलावा इस लिस्ट में बैंक ऑफ बड़ौदा, बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ महाराष्ट्र, केनरा बैंक, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, इंडियन बैंक, इंडियन ओवरसीज बैंक, पंजाबन नेशनल बैंक, पंजाब एंड सिंध बैंक, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया और यूको बैंक शामिल हैं।

वित्त मंत्री की क्या है योजना?

गौरतलब है है कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने चालू वित्त वर्ष के लिए बजट पेश करते हुए वित्त वर्ष 2022 में आईडीबीआई बैंक के साथ दो सरकारी बैंकों का निजीकरण की घोषणा की थी, इसके अलावा, नीति आयोग ने प्राइवेटाइजेशन के लिए दो PSU बैंक को शॉर्टलिस्ट भी कर लिया है. लगातार हो रहे विरोध के बावजूद सरकार निजीकरण को लेकर अपना पक्ष पहले ही साफ कर चुकी है, इसके साथ ही वित्त मंत्री ने कहा भी था कि चालू वित्त वर्ष में एक बीमा कंपनी को बेचा जाएगा।

सूत्रों की तरफ से दी गई जानकारी के अनुसार, निजीकरण के लिए सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया और इंडियन ओवरसीज बैंक को संभावित उम्मीदवारों के रूप में चुना गया था. यानी इंडियन ओवरसीज बैंक और सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया वे दो बैंक हैं जिनका निजीकरण सबसे पहले हो सकता है।

भारत विमर्श भोपाल मध्य प्रदेश

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